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भारतीय बच्चों में तेजी से फैल रहा ब्रेन ट्यूमर, आंकड़े देखकर हैरान हो जाएंगे आप

देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं।

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ruchika sharma
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भारतीय बच्चों में तेजी से फैल रहा ब्रेन ट्यूमर, आंकड़े देखकर हैरान हो जाएंगे आप

ब्रेन ट्यूमर (फाइल फोटो)

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आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में तनाव न सिर्फ वयस्कों में बल्कि बच्चों में भी पनपता जा रहा है। अक्सर सिरदर्द को हम नजरअंदाज कर अपना इलाज खुद ही शुरू कर देते है अगर लगातार सिरदर्द ,धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण सामने आते है तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चौका देने वाला खुलासा किया है। 

अध्ययन के मुताबिक देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। चिंता की बात यह है कि गत वर्ष यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत ही ऊपर था। साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है।

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आईएमए के अनुसार, मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला एक घातक ब्रेन ट्यूमर है। यह मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) के माध्यम से फैलता है और दिमाग, रीढ़ की हड्डी की सतह से होता हुआ अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। यदि उपचार प्रक्रिया का सही ढंग से पालन किया जाता है, तो इन मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत का इलाज संभव है।

अध्ययनों से पता चलता है कि मस्तिष्क ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'ट्यूमर यदि ब्रेन स्टेम या किसी दूसरे हिस्से में है, तो हो सकता है कि सर्जरी संभव न हो। जो लोग सर्जरी नहीं करवा सकते उन्हें विकिरण चिकित्सा या अन्य उपचार मिल सकता है।

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मेडुलोब्लास्टोमा के लक्षण: 

  • बार-बार उल्टी आना
  • सुबह उठने पर सिर दर्द

मेडुलोब्लास्टोमा को जांचने में चिकित्सक कभी जठरांत्र रोग या माइग्रेन भी मान बैठते हैं।

मेडुलोब्लास्टोमा रोग से पीड़ित बच्चे अक्सर ठोकर खाकर गिर जाते है। उन्हें लकवा भी मार सकता है। कुछ मामलों में, चक्कर आना, चेहरा सुन्न होना या कमजोरी भी देखी जाती है।

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डॉ. अग्रवाल ने बताया, 'मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवाएं ही काफी नहीं होती। यह सुनिश्चित करें कि ट्यूमर वापस तो नहीं आया, कोई साइड इफ़ेक्ट तो नहीं हो रहा और बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखने की जरूरत है। ज्यादातर बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद ताउम्र चिकित्सक के संपर्क में रहने की जरूरत होती है।'

 बच्चों में कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव:

  • रसायनों और कीटनाशकों के जोखिम से बचें। यह गर्भवती माताओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है।
  • फलों और सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • धूम्रपान और मदिरापान से दूर रहें।

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HIGHLIGHTS

  • हर साल 2,500 भारतीय बच्चे मेडुलोब्लास्टोमा से ग्रस्त
  • मस्तिष्क ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर

Source : IANS

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