Advertisment

बचपन में कैंसर से बचे बच्चों में हार्मोन संबंधी रोगों का खतरा

बचपन में कैंसर होना दुर्लभ है और मरीज की देखभाल और इलाज में सुधार होने के कारण वर्तमान में पांच साल जीवित रहने की दर 80 फीसदी हो गई है।

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
बचपन में कैंसर से बचे बच्चों में हार्मोन संबंधी रोगों का खतरा

कैंसर से बचे बच्चों में हार्मोन संबंधी रोगों का खतरा

बचपन में कैंसर से बचे लोगों में रेडिएशन उपचार के काफी हद तक संपर्क में आने से उनमें हार्मोन विकार के विकसित होने का जोखिम ज्यादा रहता है, जिस वजह से थॉयराइड संबंधी बीमारी, टेस्टीकुलर डिस्फंक्शन और मधुमेह जैसे बीमारियां हो सकती हैं।

Advertisment

इसके जोखिमों के बारे में स्वास्थ प्रदाताओं को चेताते हुए इडोक्राइन सोसाइटी ने इस सप्ताह एक 'क्लीनिकल प्रैक्टिस गाइडलाइन' जारी किया है। इसे 'जर्नल ऑफ क्लीनिकल इंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म (जेसीईएम)' में प्रकाशित किया गया है।

न्यूयॉर्क में मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के चार्ल्स स्कलर ने कहा, 'बचपन में कैंसर से बचने वालों में अंत:स्रावी विकार (इंडोक्राइन डिऑर्डर) के विकसित होने का जोखिम ज्यादा रहता है।'

गाइडलाइन बनाने वाली समिति की अध्यक्षता चार्ल्स स्कलर ने की।

Advertisment

और पढ़ें: पेट दर्द से लेकर सिर दर्द तक, खांसी को भी ऐसे दूर करता है अजवाइन

इंडोक्राइन प्रणाली में आठ प्रमुख ग्रंथियां (ग्लैंड्स) हैं, जो हार्मोन का स्राव करती हैं। ये हार्मोन शरीर के बहुत से कार्यो को नियंत्रित करते हैं, जिसमें रक्त शर्करा का नियमन भी शामिल है।

बचपन में कैंसर होना दुर्लभ है और मरीज की देखभाल और इलाज में सुधार होने के कारण वर्तमान में पांच साल जीवित रहने की दर 80 फीसदी हो गई है।

Advertisment

हालांकि, कैंसर से बचे इन लोगों को इलाज खत्म होने के दशकों बाद तक वयस्क होने पर नींद की समस्या और दिन में नींद का सामना करना पड़ता है।

और पढ़ें: Doctors Day: 1 जुलाई को ही क्यों मनाते है डॉक्टर्स डे, जानिये खास बातें...

Source : IANS

Diseases cancer Childhood cancer survivors Hormone children
Advertisment
Advertisment