चीन में रहस्यमयी बीमारी की दहशत... चीन इस वक्त एक और महामारी की चपेट में है. यहां कमउम्र बच्चों और बुजुर्गों में धीरे-धीरे रहस्यमयी निमोनिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इसके मद्देनजर देश के उत्तरी हिस्से में अधिकतर स्कूलों पर ताले लगा दिए गए हैं, बावजूद इसके खतरा अभी भी बरकरार है. यहां चीन से करीब 7000 किमी दूर स्थित भारत भी इसे लेकर तैयार है. इस रहस्यमय माइकोप्लाज्मा निमोनिया के संक्रमण से बचने के लिए हमारे राज्य अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में मौजूद खामियों को दुरुस्त करना शुरू कर चुके हैं. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से जारी अलर्ट के बाद तमाम खास तैयारियों की पहल की जा रही है...
गौरतलब है कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में इस प्रकोप से जुड़ी स्पष्ट जानकारी के लिए चीन से अपील की गई थी, जिसके बाद दुनियाभर में कोरोना जैसी, एक और महामारी की ये खबर चर्चा में है. हालांकि चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रवक्ता एमआई फेंग ने इसे लेकर हालिया बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने इस तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि की वजह, कई प्रकार के रोगजनकों, मुख्य तौर पर इन्फ्लूएंजा के प्रसार को करार दिया था.
केंद्र सरकार ने जारी किया था फरमान...
चीन में बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर बीते हफ्ते केंद्र ने फरमान जारी किया था, जिसके तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अस्पताल की तैयारियों की समीक्षा करने का आदेश दिया गया था. अत्यधिक सावधानी के तौर पर, मंत्रालय द्वारा राज्यों को अपने अस्पतालों में बिस्तर, इन्फ्लूएंजा के लिए दवाएं और टीके, चिकित्सा के लिए ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक्स, पीपीई आदि की मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है. इसके अतिरिक्त भारता का स्वास्थ्य मंत्रालय चीन में पसरती रहस्यमयी बीमारी की दहशत पर भी पैनी नजर बनाए हुए है.
WHO क्या कह रहा है?
गौरतलब है कि चीन के इस रहस्यमयी निमोनिया के लक्षण बिल्कुल कोरोना से मिलते जुलते है, लिहाजा खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) इसे लेकर चौकन्ना है. इसके मद्देनजर WHO द्वारा चीन से मामले में ली गई हालिया रिपोर्ट में मालूम चला है कि, चीन में सांस संबंधी बीमारियों के ताजा मामले माइकोप्लाज्मा निमोनिया जैसे ज्ञात वायरस के संक्रमण से जुड़े हैं. इसका प्रसार खासतौर पर कोविड प्रतिबंधों को हटाने के बाद शुरू हुआ है. WHO ने स्पष्ट किया है कि, ये दरअसल एक सामान्य जीवाणु संक्रमण है, जो मुख्यत: छोटे बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है.
Source : News Nation Bureau