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कोरोना के मामलों में इजाफे से देश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल पर बढ़ा दबाव

दिल्ली सरकार द्वारा संचालित भारत का सबसे बड़ा कोविड-19 अस्पताल लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बोझ के नीचे दबता हुआ प्रतीत हो रहा है. यहां केवल छह प्रतिशत वेंटिलेटर बेड ही खाली हैं. 

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Sunil Mishra
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कोरोना के मामलों में इजाफे से देश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल पर दबाव ( Photo Credit : IANS)

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दिल्ली सरकार द्वारा संचालित भारत का सबसे बड़ा कोविड-19 अस्पताल लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बोझ के नीचे दबता हुआ प्रतीत हो रहा है. यहां केवल छह प्रतिशत वेंटिलेटर बेड ही खाली हैं. दिल्ली सरकार की कोरोना एप्लिकेशन के अनुसार, पूरे शहर में वेंटिलेटर के साथ केवल 19 प्रतिशत आईसीयू बेड (बिस्तर) खाली हैं, वेंटिलेटर के बिना 22 प्रतिशत आईसीयू बेड खाली हैं, जबकि सामान्य कोविड-19 बेड केवल 50 प्रतिशत ही उपलब्ध हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों और अस्पतालों में बिस्तरों की सीमित संख्या के कारण मरीजों को एक से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

एलएनजेपी में वर्तमान में केवल पांच खाली वेंटीलेटर बेड हैं, जबकि बिना वेंटिलेटर के 22 आईसीयू बेड और सामान्य 1,398 कोविड-19 बेड हैं. एलएनजेपी के मेडिकल निदेशक सुरेश कुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "अगर बेड भर गए तो मरीजों को राजीव गांधी, जीटीबी या अन्य अस्पतालों में भेजा जा सकता है." चिकित्सा निदेशक ने कहा, "हम अधिकांश रोगियों को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन कुछ स्थिर रोगियों, जिन्हें केवल निगरानी की जरूरत होती है, उन्हें अन्य अस्पतालों में भेजा जा रहा है."

राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने पुष्टि की कि उसके पास एलएनजेपी से रोगी आ रहे हैं, क्योंकि वहां बेड की कमी है. दिल्ली में पिछले एक सप्ताह से दैनिक तौर पर कोरोना के मामलों में बड़े पैमाने पर वृद्धि दर्ज की गई है. शुक्रवार को एक ही दिन में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, जब राजधानी में 7,178 लोग संक्रमित पाए गए.

इस सप्ताह की शुरुआत में मामलों की संख्या में वृद्धि के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ने भी यह स्वीकार किया कि दिल्ली में संक्रमण की एक तीसरी लहर चल रही है. कुमार ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या दोगुनी हो गई है.

चिकित्सा निदेशक कुमार ने कहा, "अस्पताल में हर रोज 50 कोविड-19 रोगियों को भर्ती किया जाता था, लेकिन पिछले एक सप्ताह में कम से कम 100 रोगियों को भर्ती किया जा रहा है. लेकिन केवल गंभीर रोगियों, जिन्हें मध्यम बीमारी है, उन्हीं लोगों को भर्ती किया जा रहा है."

उन्होंने आगे कहा, "पिछले एक सप्ताह में हम प्रदूषण के कारण अधिक से अधिक बुजुर्ग लोग आ रहे हैं. एक तरफ आपको हवा में कम ऑक्सीजन मिल रही है और फिर कोविड-19 भी है. ये कारक फेफड़ों को दोहरा नुकसान पहुंचाते हैं."

कुमार ने कहा, "इससे पहले, सभी आयु वर्ग के लोग आ रहे थे, लेकिन अब केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग ही आ रहे हैं. ऐसे मरीज अधिक गंभीर रूप से बीमार होते हैं और उन्हें अधिक वेंटिलेटर बेड की जरूरत होती है, क्योंकि उन्हें अधिक जटिलताएं होने पर ऑक्सीजन लगानी पड़ती है."

उन्होंने कोविड-19 मामलों में आई तेजी में तापमान में हो रही गिरावट को भी जिम्मेदार ठहराया. इसके अलावा बाजारों में भीड़ और कोरोना से बचाव के लिए पर्याप्त प्रोटोकॉल भी नहीं निभाए जा रहे हैं. कुमार ने कहा, "अधिकांश बाजार और मॉल भीड़भाड़ वाले हैं. इस पर नियंत्रण रखने के लिए बहुत अधिक सावाधानी की जरूरत होगी." रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केशव सिंह के अनुसार, अस्पताल के 100 से अधिक डॉक्टर अब तक संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से दो ने बीमारी के कारण दम तोड़ दिया है.

दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक बी.एल. शेरवाल ने आईएएनएस को पिछले महीने की तुलना में अब भर्ती होने वाले मरीजों के संबंध में कहा कि त्योहारी सीजन में एहतियात कम बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि लोग सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसे मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने प्रदूषण के उच्च स्तर और मौसम में बदलाव को भी बढ़ते मामलों का एक कारण बताया.

Source : IANS

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