कोरोना संक्रमित मरीज वैक्सीनेशन करा सकते हैं मगर पूरी तरह स्वस्थ्य होने के चार से आठ सप्ताह के बाद. इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने निर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य आयुक्त त्रिपाठी ने बुधवार को प्रदेश के सभी कलेक्टर, सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को निर्देश देते हुए बताया है कि पूरे प्रदेश से यह बात सामने आई है कि कोविड -19 के उत्तरजीवियों एवं जिलों के स्वास्थ्य अमलों के मन में यह संशय है कि कोविड -19 पुष्ट रोगियों के रिकवरी उपरान्त कोविड टीकाकरण कब कराया जाना उचित है.
आकाश त्रिपाठी ने कहा कि यह साक्ष्य आधारित है कि कोविड -19 संक्रमण के इतिहास वाले रोगियों को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता के पर्याप्त विकास हेतु कोविड टीकाकरण की आवश्यकता है. वर्तमान में कोविड संक्रमण के उपरांत रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास की जानकारी एवं सुरक्षा अवधि प्रमाणित नहीं है, कोविड -19 पुष्ट रोगियों के लक्षण समाप्ति, रिकवरी के चार से आठ सप्ताह के उपरांत कोविड टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सकता है.
वैक्सीनेश में देरी होने से वायरस के वैरियेंट को फैलने में मदद मिलेगी
हेल्थकेयर विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को कोविड 19 वैक्सीन लेने में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे वायरस को नए वेरिएंट विकसित करने का मौका मिलेगा और उनमें से कुछ वर्तमान टीकों की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं. उनका मानना है कि वैक्सीन नहीं लेने वाले अपने निकट और प्रियजनों के साथ बहुत अन्याय कर रहे हैं.
भारत सरकार ने घोषणा की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को 1 मई से शुरू होने वाले कोविड 19 टीकाकरण में वैक्सीन लगाई जाएगी, जिससे महामारी को हराने में मदद मिलेगी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि युवा और बुजुर्ग वैक्सीन लेने में संकोच कर रहे हैं.
डॉ मर्विन लियो, क्लस्टर सीओओ, ग्लेनेगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल्स का मानना है कि कोविड 19 वायरस अभी भी कई होस्ट्स को दोहराने और यह नए वैरिएंट को बनाने में सक्षम है उन्होंने कहा, "इनमें से कुछ वैरिएंट वर्तमान वैक्सीन की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं, जो निश्चित रूप से सही नहीं होगा. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि लोग एक दूसरे को जल्द से जल्द टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें और यह सुनिश्चित करें कि वायरस हमारे जीवन से बाहर चला जाए.
"आरएनए के टीके और एडेनोवायरस आधारित टीके (कोविड 19 के खिलाफ टीके विकसित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकें) पहले से ही हियूमन फेस ट्रायल के सेकेंड फेस में हैं जैसे कि इन्फ्लूएंजा और एक अलग कोरोनावायरस नामक संक्रामक रोग के लिए दो मानव परीक्षण हो रहे हैं. वैज्ञानिकों के पास पहले से ही ऐसे टीकों पर सुरक्षा और इम्यूनोजेनेसिटी डेटा हैं. डॉ अनुषा कर्रा, आंतरिक चिकित्सा, पश्चिमी मैदान अस्पताल, डॉज सिटी, यूएसए ने कहा कि यह समय है जब हम चिकित्सा विज्ञान में भरोसा करे हैं और जल्द से जल्द टीकाकरण कराएं.
Source : IANS