Advertisment

'2022 में खत्म हो जाएगी कोरोना महामारी, बूस्टर डोज की जरूरत नहीं'

तीसरी लहर के बाद भारत में कोरोना पेंडेमिक की जगह एंडेमिक में बदल जाएगा और विश्व में भी यह महामारी धीरे-धीरे खात्मे की ओर होगी. उसके बाद कोरोनावायरस का संक्रमण भले ही चलता रहेगा, लेकिन मृत्यु दर बेहद कम हो जाएगी.

author-image
Keshav Kumar
New Update
coronavirus

2022 में ही खत्म होगा कोरोना( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

बेकाबू कोरोनावायरस और उसके नए संक्रामक वेरिएंट ओमीक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच एक बार फिर अच्छी खबर सामने आई है. एक्सपर्ट ने उम्मीद जताई है कि कोरोना महामारी इसी साल यानी 2022 में ही खत्म हो जाएगी. वहीं कोरोना वैक्सीन की नई बूस्टर डोज या वैक्सीन कॉकटेल की कोई जरूरत नहीं दिखती. एम्स के वैक्सीनेशन ट्रायल इंचार्ज और पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट हेड डॉक्टर संजय राय ने न्यूज नेशन पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि तीसरी लहर के बाद भारत में कोरोना पेंडेमिक की जगह एंडेमिक में बदल जाएगा. विश्व में भी यह महामारी धीरे-धीरे खात्मे की ओर होगी. तब संक्रमण भले ही चलता रहेगा, लेकिन मृत्यु दर बेहद कम हो जाएगी.

डॉक्टर संजय राय ने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर जिसके पीछे डेल्टा म्यूटेशन महत्वपूर्ण कारण था. उस वक्त देश के सभी बड़े शहरों में नेचुरल इंफेक्शन 70 फीसदी से अधिक हो चुका था, जो अब ओमीक्रॉन की हाई इन्फेक्शन रेट के कारण अधिकांश आबादी को संक्रमित कर देगा. जिसके बाद नेचुरल इन्फेक्शन पूरे देश में होगा और सभी रिसर्च में यह पता चला है कि वैक्सीन से ज्यादा बचाव नेचुरल इंफेक्शन से होता है. ऐसे में लगता है कि तीसरी लहर के बाद भारत में कोरोना पेंडेमिक की जगह एंडेमिक में बदल जाएगा और विश्व में भी यह महामारी धीरे-धीरे खात्मे की ओर होगी. उसके बाद कोरोनावायरस का संक्रमण भले ही चलता रहेगा, लेकिन मृत्यु दर बेहद कम हो जाएगी.

नई बूस्टर डोज की जरूरत नहीं, वैक्सीन कॉकटेल से भी नुकसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अब यह मान चुका है कि बार-बार बूस्टर डोज देने से फायदा नहीं है, उल्टा नुकसान हो सकता हैय तीन बार वैक्सीन देने के बाद लोगों में दिल की बीमारियों की संभावना काफी बढ़ जाती है. इसलिए बूस्टर डोज के टीकाकरण की अब जरूरत नहीं रह गई है. जिस तरह से हमारे शरीर में दवाइयों के खिलाफ किसी बीमारी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, वैसा ही टीकाकरण के साथ भी होता है. अलग-अलग वैक्सीन देने से नए म्यूटेशन के जन्म की संभावना ज्यादा हो जाती है.

हर 3 महीने में आएंगे नये म्यूटेशन, कब तक बनाई जाए नई वैक्सीन

एमआरएनए वैक्सीन को बनाने वाले खुद मानते हैं कि यह बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यही दावा है. ऐसे में अगर हम डीएनए या एमआरएनए से वैक्सीन बनाते हैं तो हर 3 महीने के बाद नई वैक्सीन बनाने की जरूरत पड़ेगी, जो संभव नहीं है. इसलिए मौजूदा आधार पर भविष्य में टीकाकरण नहीं किया जा सकता. हालांकि सबसे प्रमाणित यूनिवर्सल वैक्सीन पर रिसर्च जारी रखना चाहिए, जो सभी म्यूटेशन के खिलाफ कारगर साबित हो सके.

ये भी पढ़ें - Covid-19: देश में 24 घंटे में 2.68 लाख नए केस, 16.66 फीसदी पॉजिटिविटी रेट

कोरोना के खिलाफ कारगर दवाई की जरूरत, भांग पर ना करें अंधा भरोसा

यह बात ठीक है कि ब्रिटेन और अमेरिका के रिसर्च में यह कुछ हद तक प्रमाणित हुआ है कि भांग का प्रयोग कोरोना के खिलाफ दवाई के रूप में किया जा सकता है. इससे संक्रमण की संभावना भी कम हो जाती है, लेकिन यह अभी प्रयोगात्मक है. इसका अंधा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. उससे अलग तरह की समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन आज भी हमारे पास करोना के खिलाफ कोई कारगर दवाई नहीं है. दवाई को लेकर रिसर्च जरूरी है.

HIGHLIGHTS

  • रिसर्च में पता चला है कि वैक्सीन से ज्यादा बचाव नेचुरल इंफेक्शन से होता है
  • अलग-अलग वैक्सीन देने से नए म्यूटेशन के जन्म की संभावना ज्यादा हो जाती है
  • नया वेरिएंट ओमीक्रॉन जल्द ही अधिकांश आबादी को संक्रमित कर देगा
AIIMS covid-19 delta-variant coronavirus कोरोनावायरस कोविड-19 corona-vaccine कोरोना वैक्सीन omicron Booster Dose बूस्टर डोज एम्स epidemic महामारी Pandemimc natural infection
Advertisment
Advertisment