भारत में दो वर्षों से कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ जंग चटल रही है. लेकिन वायरस से निपटने की यह जंग कब खत्म होगी इसको लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 4,10,92,522 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि इस महामारी के कारण 4,94,091 लोगों की मौत हो चुकी है. देश इस समय महामारी की तीसरी लहर का सामना कर रहा है. पिछले दो वर्षों में देश ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के विभिन्न स्वरूपों का भी सामना किया है. महामारी की दूसरी भयावह लहर के दौरान जहां एक ओर वायरस के डेल्टा स्वरूप (Delta Variant) ने कहर बरपाया था, वहीं इसके ओमिक्रॉन स्वरूप (Omicron Variant) के कारण संक्रमण काफी तेजी से फैला.
आज से ठीक दो साल पहले 30 जनवरी 2020 को चीन के वुहान विश्वविद्यालय (Wuhan University) में सेमेस्टर की परीक्षा देने के बाद भारत लौटी एक छात्रा कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गयी थी. इसके बाद से भारत कोविड-19 की तीन लहरों का सामना कर चुका है, इस दौरान उत्परिवर्तन के कारण वायरस के कई स्वरूप सामने आए जिनमें से कुछ बेहद जानलेवा भी साबित हुए.
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भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया (आईएनएसएसीओजी) के मुताबिक भारत में पिछले दो वर्षों के दौरान कोरोना वायरस के सात स्वरूप ऐसे मिले हैं, जो चिंता का विषय हैं. इनमें अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, बी.1.617.1 और बी.1.617.3 के अलावा एवाई सीरीज़ और ओमिक्रॉन स्वरूप शामिल हैं.
इनमें से कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमिक्रॉन स्वरूप को घातक माना गया है. महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के डेल्टा स्वरूप से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और इसके कारण ही हजारों लोगों की मौत हुई. देश में कोविड-19 की मौजूदा लहर के लिए कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप को जिम्मेदार माना जा रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो जनवरी तक 1.5 लाख नमूनों का जीनोम अनुक्रमण किया गया है, जिनमें से 71,428 नमूनों में चिंताजनक स्वरूपों की पुष्टि हुई है.
महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने और टीकाकरण अभियान को तेज करने की सलाह दी है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि भारत में महामारी कब खत्म होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ़ पूनम खेत्रपाल ने कहा, “हम अब भी महामारी के बीच में हैं. इसलिए वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने और लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.”
प्रख्यात विषाणु वैज्ञानिक डॉ़ टी़ जैकब का कहना है कि महामारी का प्रकोप भविष्य में कैसा होगा इसके लिए अभी इंतजार करने की जरूरत है.