किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ की कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ़ सूर्यकान्त ने कहा है कि कोरोनावायरस (CoronaVirus Covid-19) के संक्रमण की चपेट में आने से बचना है तो धूम्रपान से तौबा करने में ही भलाई है. बीड़ी-सिगरेट संक्रमित हो सकते हैं और उंगलियों व होंठों के संपर्क में आकर वह आसानी से संक्रमण फैला सकते हैं.
हालांकि सरकार ने सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा रखी है, फिर भी लोग चोरी-चुपके इसका इस्तेमाल कर अपनी जान को जोखिम में डालने से बाज नहीं आ रहे हैं. इन उत्पादों का सेवन कर इधर-उधर थूकने से भी संक्रमण का खतरा है इसलिए सरकार ने खुले में थूकने पर भी रोक लगा रखी है. इसका उल्लंघन करने पर दण्ड का प्रावधान भी किया गया है.
और पढ़ें: हर 7 में से एक महिला मां बनने के बाद हो रही अवसाद की शिकार, जानें वजह
केजीएमयू लखनऊ के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ़ सूर्यकान्त ने बताया कि "धूम्रपान से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके चलते कोरोना जैसे वायरस आसानी से ऐसे लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं. इसके अलावा बीमारी की चपेट में आने पर ऐसे लोगों के इलाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है."
यही कारण है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में इसका प्रयोग करने वालों को कोरोना का खतरा कई गुना अधिक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी बाकायदा दिशा-निर्देश जारी कर धूम्रपान से कोरोना की जद में आने के खतरे के बारे में सचेत कर चुका है.
डॉ.सूर्यकांत ने बताया कि "बीड़ी-सिगरेट ही नहीं बल्कि अन्य तम्बाकू उत्पाद हुक्का, सिगार, ई-सिगरेट भी कोरोना वायरस के संक्रमण को फैला सकते हैं, इसलिए अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए इनसे छुटकारा पाने में ही भलाई है."
"कोरोनावायरस छींकने, खांसने और थूकने से निकलने वाली बूंदों के जरिये एक दूसरे को संक्रमित करता है. इसीलिए प्रदेश में खुले में थूकने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है. इसके अलावा धूम्रपान से श्वसन प्रणाली, सांस की नली और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है. यही कारण है कि फेफड़ों की कोशिकाएं कमजोर होने से संक्रमण से लड़ने की क्षमता अपने आप कम हो जाती है."