कोरोना वायरस के जुड़ा एक और खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं को पता चला है कि कोरोना वायरस से मरीजों के फेफड़ों को सबसे पहले नुकसान पहुंचता है. वायरस की वजह से खून गाढ़ा होने लगता है, जो धीरे-धीरे जमना शुरू हो जाता है. जिससे खून मरीज के दिल तक नहीं पहुंच पाता और फिर उसकी मौत हो जाती है. इसका खुलासा हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की ओर किया गया है, जिसने कोरोना से होने वाली मरीजों की मौत की जांच के दौरान इसका पता लगाया है.
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देश में भले ही कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हों, लेकिन कई राज्यों में ये आंकड़े एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. हरियाणा में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2006 तक पहुंच गई है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उनसे होने वाली मौत पर अब डॉक्टरों की टीम उनका डेथ ऑडिट कर रही है. इस ऑडिट के आधार पर ही अलग अलग अस्पतालों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रह रहे 313 मरीजों की सेहत पर विशेषज्ञों की विशेष नजर है.
एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना मरीजों पर नजर रख रहे डॉक्टर राजेंद्र राय का कहना है कि संक्रमित मरीजों के सीने में इंफेक्शन दिखाई देता है, जिस वजह से उनका सीटी स्कैन कराया जाता है. राजेंद्र राय के अनुसार, अभी 75 फीसदी तक खराब हो चुके फेफड़े वाले मरीजों की जान बचा ली गई है. 75 फीसदी से ज्यादा फेफड़े खराब हो जाने पर मरीज को बचाना काफी मुश्किल होता है.
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जांच में खुलासा हुआ है कि वायरस की वजह से मरीजों के फेफड़े उसी तरह से खराब होते हैं, जैसे किसी गंभीर टीवी के मरीज के होते हैं. इस कारण मरीज को बचा पाना बेहद मुश्किल होता है. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण पहले से बीमार लोगों को पर तेजी से हमला करता है.
Source : News Nation Bureau