देश में कोरोना के मामले पिछले कुछ करीब दो महीने से 30 से 45 हजार से बीच बने हुए हैं. इसकी बीच वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी है. देश में 75 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. अब जो ताजा स्थिति सामने आ रही है वह चिंताजनक है. एक्टिव केस में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. हाल ही में आयोजित बैठक में पेश किए गए एम्पावर्ड ग्रुप-1 (EG-1)के डेटा से इस बात की जानकारी मिली है. जानकारों का कहना है कि वायरस की वयस्कों के प्रति कम हुई संवेदनशीलता हो सकती है.
10 साल तक के बच्चों में बढ़ रहे मामले
बैठक में जो आंकड़े जारी किए गए उनके मुताबिक कुल एक्टिव केस में 1 से 10 साल की उम्र के बच्चों की संख्या मार्च में 2.80 थी, जो अगस्त में बढ़कर 7.04 हुई है. प्रति 100 सक्रिय मामलों में करीब 7 बच्चे हैं. कुल सक्रिय मामलों में मार्च से पहले जून 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक, नौ महीनों में 1 से 10 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 2.72%-3.59% थी.
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18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का अगस्त का डेटा बताता है कि बच्चों में कोविड के सबसे ज्यादा मामले मिजोरम (16.48% कुल एक्टिव केस का) में देखे गए. जबकि, दिल्ली (2.25%) में यह आंकड़ा सबसे कम था. राष्ट्रीय औसत के 7.04% की तुलना में मिजोरम, मेघालय (9.35%), मणिपुर (8.74%), केरल (8.62%), अंडमान एंड निकोबार आईलैंड (8.2%), सिक्किम (8.02%), दादर एंड नगर हवेली (7.69%) और अरुणाचल प्रदेश (7.38%) में बच्चों की संख्या ज्यादा थी.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों में कोविड के मामले बढ़ने का कोई खास कारण नहीं दिया गया है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले ज्यादा आने का कारण ज्यादा संपर्क और ज्यादा टेस्टिंग को बताया गया. जानकारी के मुताबिक बच्चों के भर्ती होने का अनुपात पहले की तुलना में अधिक है. मुख्य रूप से इसके दो कारण हैं. पहला, ज्यादा जागरूकता और सतर्कता है. दूसरा, संवेदनशीलता सही अनुपात में बढ़ी है.
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जानकारों का कहना है कि अगर हम सीरो सर्वे भी देखें तो उसमें भी बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 57 से 58 फीसदी रहा है. इससे साफ है कि बच्चे पहले भी कोरोना से प्रभावित रहे हैं. बच्चों में कोविड के मामलों को बढ़ने से रोकने को लेकर सूत्र ने कहा कि बायोलॉजिकल ई जैसे वैक्सीन उम्मीदवार 10 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी पाने की राह पर हैं.