Covishield vs Covaxin: ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह स्वीकार किया है कि कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. हालांकि ये साइड इफेक्ट्स दुर्लभ ही हैं. इन साइड इफेक्ट्स में सबसे मुख्य थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम विद थ्रोम्बोसिस यानी बॉडी में ब्लड क्लोटिंग होना है. कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स की खबर ने भारत समेत दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया. खासकर उन देशों में लोगों को बड़ा खतरा पैदा हो गया है, जहां लोगों ने कोरोना वैक्सीन के तौर पर कोविशील्ड ली है.
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कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या है अंतर
ऐसे में कुछ लोगों के मन सवाल है कि क्या कोविशील्ड की तरह कोरोना की दूसरी वैक्सीन कोवैक्सीन के भी अपने साइड इफेक्ट्स हैं और इन दोनों कोरोना वैक्सीन में अंतर क्या है. अगर आपके दिमाग में भी ये सवाल हैं तो आज हम इनका जवाब देने जा रहे हैं.
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क्या कोवैक्सीन के भी हैं साइड इफेक्ट्स
दरअसल, कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वैक्सीन है, जो मृत कोरोना वायरस से बनी है. कोवैक्सीन का निर्माण भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर किया है. इसमें इम्युन सेल्स कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए इम्युन सिस्टम को प्रोम्पट करती है. एक रिपोर्ट के अनुसार यह एंटीबॉडी वायरल प्रोटीन से जुड़ी होती है. इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जाता है. भारत बायोटेक का दावा है कि कोवैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है.
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ये हैं कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
वहीं, कोविशील्ड का निर्माण ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रजेनेका ने किया है, जबकि भारत में इसको सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है. जब किसी मरीज को वैक्सीन की पहली खुराक दी जाती है तो प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी का शुरू करने में मदद करती है. यह इम्यून सिस्टमन को कोरोना वायरस संक्रमण पर हमला करने के लिए तैयार करती है.
Source : News Nation Bureau