क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) का इलाज अपने बहुत कम सुना होगा. जिसमें अलग-अलग रंगों के पारदर्शी पत्थरों या रत्नों से इलाज किया जाता है. और कई बीमारियों से बचाया जाता है. इसे करने वाले या करवाने वाले ये मानते हैं कि इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है. हीलिंग एनर्जी शरीर में बहती है और लेकिन कुछ लोग इसे माने से इंकार करते हैं. वो ये नहीं मानते कि सिर्फ एक पत्थर से कोई इंसान एनर्जी में और बीमारियों से कैसे दूर रह सकता है. तो आइये जानते हैं इसके पीछे के कुछ रहस्य.
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जानकारों के मुताबिक वैज्ञानिक आधार पर क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) से किसी भी बीमारी का इलाज नहीं किया जा सकता. क्योंकि किसी भी बीमारी में शरीर में किसी तरह का निगेटिव बहाव नहीं होता है. साइंटिफिक स्टडीज में साफ़ कहा गया है कि क्रिस्टल या रत्नों के रसायनिक मिश्रण या रंग किसी भी तरह की बीमारी को दूर नहीं कर सकते हैं.
इसके बावजूद आज कल के और पहले से भी हेल्थ स्पा और नए जमाने के हेल्थ क्लीनिक्स में क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Healing) काफी ज्यादा पॉपुलर होगया है. इसे मसाज और रेकी जैसी तकनीकों के साथ शामिल कर दिया गया है. इसी कड़ी में क्रिस्टल का इस्तेमाल करना एक सकारत्मक ऊर्जा का प्रभाव डालता है.
जानकारों के मुताबिक क्रिस्टल्स या रत्नों में हीलिंग की ताकत होती है. यह एक प्राचीन तरीका है. जो करीब 6000 साल पहले मेसोपोटामिया के समय से इस्तेमाल में लाई जा रही है. प्राचीन मिस्र से संबंधित कई ऐसे स्थान मिले हैं, जो ये बताते हैं कि उस समय के लोग इन्हें पहनते थे.जैसे- लैपिस लजुली, कारनेलियन और टर्क्वायस. ताकि बीमारियां और निगेटिव एनर्जी दूर रहे. हिंदुओं और बौद्धों में चक्र (Chakras) का सिद्धांत है.
जमुनिया (Amethyst) को आंत के लिए अच्छा माना जाता है. ग्रीन एवेन्टुरीन (Green Aventurine) दिल के इलाज में मदद करता है. पीला टोपाज (Yellow Topaz) मानसिक शांति देता है. तनाव से दूर रखता है. लाल और बैंगनी रंग शरीर के सात चक्रों से जुड़े हैं. हालांकि आज भी कई जगह क्रिस्टल हीलिंग का इस्तेमाल पार्लर में होता है. या स्पा में इसकी मदद ली जाती है.
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Source : News Nation Bureau