Covishield Vaccine: यह सच है कि कोविशील्ड वैक्सीन के कुछ मामलों में ब्लड क्लॉटिंग (रक्त के थक्के बनने) की दुर्लभ प्रतिक्रिया देखी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार सहित कई स्वास्थ्य संगठनों ने कोविशील्ड वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी होने की पुष्टि की है. कोविशील्ड भारत में निर्मित एक COVID-19 वैक्सीन है. यह एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित एडेनावैक्टर वैक्सीन है. कोविशील्ड वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित किया जाता है. कोविशील्ड वैक्सीन को दो खुराक में दिया जाता है, जिसमें 12 सप्ताह का अंतर होता है. इस वैक्सीन को इंट्रामस्क्युलर (मांसपेशियों में) इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है. कोविशील्ड वैक्सीन COVID-19 के कारण होने वाली गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को रोकने में प्रभावी दिखाई दिया है. लेकिन अब जब से ब्लड क्लॉटिंग का मामला सामने आया है तब से लोगों को इस बीमारी को जानने की उत्सुक्ता और भी बढ़ गयी है.
कितने लोगों की जान को है खतरा ?
कोविशील्ड वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग का खतरा 1 मिलियन में 4-10 मामलों के बीच अनुमानित है. यह खतरा गर्भनिरोधक गोलियों जैसे अन्य दवाओं से जुड़े खतरे से कम है. युवा महिलाओं (18-49 वर्ष) में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है. अगर आपको वैक्सीन लगने के बाद सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पैरों में सूजन या लगातार पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें. अगर ब्लड क्लॉटिंग का पता जल्दी चल जाता है, तो इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है.
कोविशील्ड वैक्सीन गंभीर COVID-19 से बचाने में अत्यंत प्रभावी है. वैक्सीन के लाभ खतरों से कहीं अधिक हैं. आपको ब्लड क्लॉटिंग का खतरा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें. डॉक्टर आपकी व्यक्तिगत स्थिति का आकलन कर सकते हैं और आपको सलाह दे सकते हैं कि क्या कोविशील्ड वैक्सीन आपके लिए उपयुक्त है. वैसे रक्त के थक्के (Blood Clots) रक्त में जमे हुए पदार्थ होते हैं जो आमतौर पर रक्तस्राव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन कुछ मामलों में, ये थक्के असामान्य रूप से बन सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
ब्लड क्लॉट्स दो प्रकार के होते हैं
थ्रोम्बस (Thrombus): ये थक्के रक्त वाहिकाओं के अंदर बनते हैं, जो रक्त प्रवाह को बाधित कर सकते हैं.
एम्बोलस (Embolus): ये थक्के रक्त वाहिकाओं से अलग हो जाते हैं और शरीर के अन्य भागों में यात्रा करते हैं, जहां वे रक्त प्रवाह को रोक सकते हैं.
वैसे ब्लड क्लॉट्स के बनने के कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं
चोट या सर्जरी: जब रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं, तो वे थक्के बनाने के लिए एक सिग्नल जारी करती हैं.
कुछ चिकित्सा स्थितियां: कुछ चिकित्सा स्थितियां, जैसे कि कैंसर, हृदय रोग और स्वस्थानिक विकार, रक्त के थक्के बनने के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
जीवनशैली कारक: धूम्रपान, मोटापा और गतिहीन जीवन शैली भी रक्त के थक्के बनने के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे कि जन्म नियंत्रण की गोलियां और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, रक्त के थक्के बनने के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
ब्लड क्लॉट्स के नुकसान
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT): यह एक गहरी नस में रक्त का थक्का होता है, जो आमतौर पर पैरों में होता है. DVT के लक्षणों में पैर में दर्द, सूजन और लालिमा शामिल हैं.
फुफ्फुसीय एम्बोलिज्म (PE): यह एक फेफड़ों की धमनी में रक्त का थक्का होता है, जो DVT से अलग हो जाता है. PE के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी शामिल हैं.
स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका अवरुद्ध हो जाती है, जिससे मस्तिष्क क्षति या मृत्यु हो सकती है.
हृदय गति रुकना: यह तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है, जिससे हृदय की विफलता हो सकती है.
अगर आपको लगता है कि आपको रक्त का थक्का हो सकता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है. जल्दी इलाज से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है. ब्लड क्लॉट्स को रोकने के लिए धूम्रपान छोड़ना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित रूप से व्यायाम करना और अपने डॉक्टर से बात करना बेहद जरूरी है.
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Source : News Nation Bureau