आज ‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ है. हर 16 मई को ड़ेंगू दिवस मनाया जाता है. डेंगू के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अनुशंसा पर आज के दिन भारत में ‘नेशनल डेंगू डे’ मनाने की परमिशन दी गई थी. मलेरिया की तरह ही डेंगू भी एक तरह का बुखार होता है, जो मच्छर के काटने से होता है. अक्सर बरसात के समय या गर्मी में डेंगू फैलने का डर रहता है. यह मच्छर रात की अपेक्षा दिन में अधिक प्रभावी होते हैं, जिसके काटने से शरीर और जोड़ों में ज्यादा दर्द महसूस होता है.
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लेकिन अब अगर डेंगू होने पर आप कुछ आयुर्वेदिक तरीके अपना सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डेंगू के इलाज में आयुर्वेदिक दवाएं कारगर हैं, जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. बुखार के सभी रोगी पहले दिन से ही कालमेघ, भुंई आंवला, पपीते के पत्तों के रस, गिलोय का काढ़ा और हरसिंगार के पत्तों के काढ़े का प्रयोग करें, इससे डेंगू गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचेगा.
डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज
डेंगू में आप काढ़ा बना कर पी सकते हैं. काढ़ा बनाने के लिए हरसिंगार के 20 से 25 पत्ते आधा लीटर पानी में उबालें और पानी आधा रह जाने पर छानकर रख लें. यह काढ़ा बीस मिली लीटर (चार चम्मच ) की मात्रा में हर 2 घंटे के बाद रोगी को पिलाएं. काढे में हरसिंगार के पत्तों के साथ काली मिर्च, तुलसी और गिलोय को भी मिला सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश-विदेश में हुए विभिन्न अनुसंधानों में यह सिद्ध हो चुका है कि पपीते के पत्तों के रस, गिलोय, भुंई आंवला और कालमेघ में एंटीवायरल गुण हैं और ये दवाएं वायरस को जड़ से खत्म करती हैं, लेकिन इन सब का इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह मशवरा जरूर करें. अगर ज्यादा दिक्कत हुई है तो नज़दीकी डॉक्टर से संपर्क करें.
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Source : News Nation Bureau