भारत में मधुमेह महामारी अब शहरी गरीबों पर कर रही हमला, लैंसेट अध्ययन में हुआ खुलासा

आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में अकसर लोग तनाव के शिकार रहते है। मधुमेह भी एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग छोटी सी उम्र के दौरान ही जूझने लग जाते है।

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ruchika sharma
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भारत में  मधुमेह महामारी अब शहरी गरीबों पर कर रही हमला, लैंसेट अध्ययन में हुआ खुलासा

मधुमेह

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आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में अकसर लोग तनाव के शिकार रहते है। लोग आजकल बहुत सी बीमारियों से भी बहुत जल्दी ग्रस्त होने लगते है। इनमें मधुमेह भी एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग छोटी सी उम्र के दौरान ही जूझने लग जाते है। भारत की मधुमेह जनसांख्यिकीय में बदलाव आ रहा है।

एक अध्ययन के मुताबिक अधिक समृद्ध राज्यों के शहरी क्षेत्रों में रह रहे निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति के लोगों के बीच डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है। ये परिणाम 'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी' में ऑनलाइन प्रकाशित किए गए थे।

आईसीएमआर और आईएनडीआईआई डायबेट्स अध्ययन, राज्यों द्वारा विभाजित, भारत में मधुमेह और पूर्व मधुमेह के राष्ट्रीय प्रसार का अनुमान लगाने का कार्य करता है।

प्रकाशित परिणामों में 11 राज्यों के आंकड़ों के नमूने के पहले चरण के कुछ अप्रकाशित डेटा के साथ, सितंबर 2012 और जुलाई 2015 के बीच किए गए अध्ययन के दूसरे और तीसरे चरण के दौरान सर्वेक्षण किया गया है जिसमे तमिल नाडु, झारखण्ड,महाराष्ट्र और चंडीगढ़ को कवर किया गया था।

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शहरी क्षेत्रों (11.2 प्रतिशत) में मधुमेह दो बार आम है, जो ग्रामीण इलाकों (5.2 प्रतिशत) में है, सर्वेक्षण में 15 क्षेत्रों में से सात में, गांवों में इसकी प्रचलन शहरों और शहरों की तुलना में ज्यादा थी।

लगभग इन सभी सात क्षेत्रों को आर्थिक तौर पर उन्नत माना जाता है: पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मणिपुर और चंडीगढ़। चंडीगढ़ में मधुमेह सबसे ज्यादा 13.6% - और बिहार सबसे कम (4.3%) है।

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डायबिटीज पंजाब में 8.7 फीसदी ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा है, इसके बाद चंडीगढ़ (8.3 फीसदी) और तमिलनाडु (7.8 फीसदी) का स्थान है। तमिलनाडु (13.7 प्रतिशत) और चंडीगढ़ (14.2 प्रतिशत) और तमिलनाडु (13.7 प्रतिशत) में सबसे ऊपर है।

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 422 मिलियन व्यस्क मधुमेह से ग्रस्त है 2012 में 1.5 मिलियन लोगों की मधुमेह के कारण मौत हुई 

मधुमेह 62 मिलियन से अधिक भारतीयों को प्रभावित करता है जो कि वयस्क आबादी का 7.1% से अधिक है। मधुमेह के कारण हर साल लगभग 10 लाख लोग अपनी जान गवां बैठते है।

आईसीएमआर डायरेक्टर-जनरल डॉ स्वामीनाथन ने कहा, 'ये मामला चिंताजनक इसलिए है क्युंकि आने वाले सालों में इन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा लोगों के डायबिटीज का शिकार होने की संभावना है।'

उन्होंने कहा, 'इसे धीमा करने का एक अवसर है, क्योंकि आहार और जीवन शैली में संशोधन मधुमेह की प्रगति को रोका जा सकता है।'

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Source : News Nation Bureau

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