Advertisment

धूम्रपान ना करने से भी होगा डिमेंशिया का खतरा

एक रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों में कोटिनाइन की मात्रा अधिकतम होती है, उनमें निम्नतम कोटिनाइन वालों की तुलना में बौद्धिक विकलांगता का ख़तरा 44 प्रतिशत अधिक होता है।

author-image
Akash Shevde
एडिट
New Update
धूम्रपान ना करने से भी होगा डिमेंशिया का खतरा

फाइल फोटो (Getty Images)

Advertisment

बौद्धिक कार्यप्रणाली और अप्रत्यक्ष धूम्रपान का आपसी संबंध है। कोई व्यक्ति जितना ज्यादा अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में रहता है, उतना ही ज्यादा खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा समय तक ऐसे माहौल में रहने वालों को खतरा भी ज्यादा होता है। इंग्लैंड के एग्जिटर स्थित पैनिनसुला मेडिकल स्कूल के ब्रिटिश मेडिकल जरनल में प्रकाशित अध्ययन में धूम्रपान न करने वाले 50 साल से कम उम्र के 4800 लोगों के थूक के नमूने लिए गए, जिनमें कोटिनाइन की जांच की गई। कोटिनाइन, निकोटीन में शामिल एक तत्व होता है जो धूम्रपान के 25 घंटे बाद तक थूक में मौजूद रहता है।

रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों में कोटिनाइन की मात्रा अधिकतम होती है, उनमें निम्नतम कोटिनाइन वालों की तुलना में बौद्धिक विकलांगता का ख़तरा 44 प्रतिशत अधिक होता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, 'पूरी दुनिया में 4.68 करोड़ लोगों में डिमेंशिया होने का अनुमान है और यह संख्या अगले 20 सालों में दुगुना होने की आशंका है। धूम्रपान से दिल के रोगों, डायबिटीज और स्ट्रोक का खतरा रहता है, जो डिमेंशिया का सबसे बड़ा कारण बनते हैं।'

उन्होंने कहा, 'धूम्रपान और होमीसाइसिटाइन का उच्च स्तर भी बौद्धिक विकलांगता में अहम भूमिका निभाता है। यहां तक कि धुएं की वजह से होने वाली ऑक्सिडेटिव की कमी ऐसे हालात पैदा कर सकती है, जिससे डिमेंशिया होता है। अप्रत्यक्ष धूम्रपान के भी ऐसे ही परिणाम होते हैं। जितना ज्यादा हम प्रत्यक्ष धूम्रपान के माहौल में रहेंगे, उतना ज्यादा खतरा डिमेंशिया का बढ़ेगा और बौद्धिक क्षमता उतनी ही कमजोर होगी।"

शोध में यह बात भी सामने आई है कि एल्जाइमर के इलाज के लिए दी जाने वाली कई दवाओं का असर भी धूम्रपान कम कर सकता है।

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि, 'सेहतमंद जीवनशैली अपनाने से भविष्य में डिमेंशिया होने का खतरा कम हो जाता है। नियमित रूप से शारीरिक कसरत, उचित वजन, संतुलित आहार, धूम्रपान न करना, तनाव से बचना और शराब का सीमित सेवन डिमेंशिया, कैंसर, सांस प्रणाली के विकार और मानसिक स्वास्थ्य के ख़तरे को कम कर देता है।'

उन्होंने कहा कि इस बारे में जागरूकता फैला कर ही इसे कम किया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, धूम्रपान छोड़कर डिमेंशिया के एक तिहाई मामले रोके जा सकते हैं।

Source : IANS

Treatment symptoms dementia
Advertisment
Advertisment
Advertisment