जब से उत्तर भारत में मानसून ने दस्तक दी है. तब से देश के कई हिस्सों में इन दिनों हर घर में लोग बीमार हो रहे हैं. दिल्ली एनसीआर में तो खास तौर पर छोटे बच्चों में वायरल बुखार की समस्या बढ़ रही है. इस समय दिल्ली के कई प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में वायरल के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. स्कूली बच्चे वायरल, इंफ्लूएंजा और माउथ-हैंड-फुट बीमारी के शिकार हो रहे हैं.यानी एक साथ कई मानसूनी बीमारियों का अटैक देखने को मिल रहा है.
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वायरल इन्फ्लूएंजा, हैंड-फुट-माउथ डिजीज और कोरोना के मामले साथ-साथ आ रहे हैं. बच्चों में इन तीनों बीमारियों का अटैक देखा जा रहा है. वहीं, बड़े बुजुर्गों में इन्फ्लूएंजा और कोरोना के मामले देखे जा रहे हैं. बारिश के साथ हर साल होने वाली मौसमी बीमारी इन्फ्लूएंजा के मामले में भी अचानक तेजी आ गई है. एक्सपर्ट का कहना है कि इन्फ्लूएंजा और कोविड के लक्षण शत प्रतिशत मिलते हैं, बिना जांच के इसका पता लगाना आसान नहीं है. अभी फैल रही तीनों संक्रामक बीमारियां जो एक से दूसरे में फैलती हैं. अगर आपके बच्चों को बुखार या खांसी है तो स्कूल न भेजें. इससे बाकी बच्चे भी बीमार हो सकते हैं.
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ऐसे में आखिर किस तरह बीमारी को पहचानें और उसका इलाज कैसे कराएं. ये जानने के लिए न्यूज नेशन संवाददाता ने डॉ. अजय लेखी से बात की. इस दौरान डॉक्टर अजय ने बताया कि बुखार हो तो बच्चे को आइसोलेट जरूर करें. बाकी लोगों से अलग रखें, लेकिन एसी, पंखा जरूर चलाएं. यह शरीर को गर्म रहने नहीं देंगे. इससे बुखार कम होगा. जल्दी में हैं तो अपने बच्चे को पेरासिटामोल दे सकते हैं, लेकिन इसके सिवा कोई दवा न दें. एंटीबायोटिक का इसमें कोई रोल नहीं होता है. यह बिल्कुल न दें, लेकिन अपने डॉक्टर को एक बार जरूर दिखाएं. डॉक्टर की सलाह के बिना अपने मन से इलाज न करें.
Source : Vaibhav Parmar