इन दिनों दिल्ली गैस चैंबर बनी हुई है। स्मॉग की वजह से लोग परेशान हैं और हवा की खराब क्वालिटी ने लोगों का सांस लेना दूभर कर दिया है। ऐसे में कुछ लोग अपने घरों या दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर लगवा रहे हैं। एयर प्यूरिफायर लगाने से कुछ हद तक वायु प्रदूषण से निपटने में मदद मिलती है, लेकिन सवाल है कि ये कितने प्रभावी होते हैं!
ज्यादातर एयर प्यूरिफायर प्रदूषक तत्वों को हटाने में सक्षम हैं, जिसमें स्पोर्स, पोलेन, धूल, बैक्टीरिया और पेट डेंडर शामिल हैं। लेकिन क्या वे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एआईक्यू) के हिसाब से हवा साफ कर पाते हैं?
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्ठ कंसलटेंट (क्रिटिकल केयर) राजेश चावला ने बताया, 'एयर प्यूरिफायर प्रभावी होते हैं, लेकिन कुछ ही हद तक। क्योंकि लोगों को घर से बाहर भी जाना होता है, जहां उनका सामना प्रदूषित हवा से होता है।'
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जेपी हॉस्पिटल नोएडा के वरिष्ठ कंसलटेंट (पलमोनोजी विभाग) ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने कहा, 'एयर प्यूरिफायर घर के अंदर की हवा का प्रदूषण कुछ हद तक घटा सकते हैं। उनका सकारात्मक असर देखने को मिला है। तो कहा जा सकता है कि कुछ नहीं से कुछ भला।'
एयर प्यूरिफायर की क्षमता को पीएम 2.5 के फिल्टर करने की क्षमता से नापी जाती है।
नई दिल्ली की कंपनी निर्वाणा बीइंग के जयधर गुप्ता का कहना है कि ऑनलाइन एयर प्यूरिफायर बेचनेवाली कंपनियां विदेशी शहरों को ध्यान में रखकर उत्पाद बनाती हैं। निर्वाणा बीइंग एयर प्यूरिफायर का निर्माण स्थानीय वातावरण को ध्यान में रख कर करती है।
गुप्ता ने बताया, 'लंदन और सिंगापुर जैसे शहरों में पीएम 2.5 का स्तर कभी कभार 150 से ऊपर होता है, जबकि दिल्ली में यह 1,500 से अधिक के स्तर पर पहुंच चुका है।'
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सैमसंग इंडिया कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबार के निदेशक सौरभ कात्याल का कहना है कि उनकी कंपनी के एयर फिल्टर 99 फीसदी पीएम 2.5 को हटाने में सक्षम हैं।
कात्याल ने कहा, 'चार चरणों की फिल्टरेशन प्रणाली में डियोडोराइजेशन फिल्टर हानिकारक गैसों को हटा देता है, जिसमें अमोनिया, बेंजेंन जैसी गैसें शामिल हैं।'
Source : IANS