भारत में कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination) का तीसरा चरण जारी है. इस चरण में 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) देने का काम किया जा रहा है, लेकिन वैक्सीन की कमी (Corona Vaccine Shortage) के कारण कई राज्यों में वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम काफी धीमी गति से चल रहा है. भारत में फिलहाल वैक्सीन की जो कमी है, वह अगले दो महीने में दूर हो जाएगी. यह कहना है मेदांता के चेयरमैन और एमडी डॉ नरेश त्रेहन (Dr. Naresh Trehan) का. डॉ नरेश त्रेहन ने भारत को वैक्सीन उत्पादन का हब बताया.
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वैक्सीन की कमी को लेकर डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि हम कोरोना वैक्सीन के निर्माण का हब हैं. पहले से ही प्रति माह 7-8 करोड़ खुराक उपलब्ध हैं, लेकिन इसे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि हमारी आबादी बहुत बड़ी है. इससे पहले कि हम कह सकें कि हम हर्ड इम्युनिटी तक पहुंच चुके हैं. इसके लिए 60-70 करोड़ लोगों को टीकाकरण की आवश्यकता है.
'एंटीबॉडी कॉकटेल प्रभावी है'
डॉ. त्रेहान ने कहा कि संक्रमित मरीज को शुरुआती स्तर पर जब कासिरिविमैब औप इम्डेविमैब की खुराक दी जाती है तो यह वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है. उन्होंने कहा कि यह कोविड-19 के खिलाफ काम कर रहा है और यह इस वायरस के नए स्ट्रेन बी.1.617 के खिलाफ भी प्रभावी है. उन्होंने कहा कि प्लाज्मा के साथ साथ कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही रेमेडिसिविर और टोसिलिजुमैब से ये दवा बिल्कुल अलग है.
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कोविड डेथ रेट कम हो जाता है
डॉ त्रेहन ने कहा कि शोध के अनुसार जिन मरीजों को ये दवा दी गयी उनमें से 80 प्रतिशत को अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत नहीं पड़ी. कोरोना के लक्षण के समय को कम करने के साथ साथ ही इसके इस्तेमाल से मृत्यु दर में भी कमी आती है. उन्होंने ने कहा कि कल (मंगलवार को) विभिन्न बीमारियों से पीड़ित एक 82 वर्षीय मरीज को कोविड कॉकटेल दी गई थी और वह अपने घर चला गया था. उन्होंने कहा कि हम उस पर नजर रखेंगे. इससे वायरस का बहुगुणन रुकता है, खासकर उन लोगों में जिनमें वायरस लो अधिक होता है और जिन्हें गंभीर संक्रमण का अधिक खतरा होता है.
HIGHLIGHTS
- कोरोना में 'एंटीबॉडी कॉकटेल' काफी प्रभावी दवा है
- 80% मरीजों को अस्पताल जाने की जरुरत नहीं पड़ी