‘ओपियड’ की लत छुड़ाने में काम आने वाली दवा टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में भी कारगर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अनुसंधान में पाया है कि ‘ओपियड’ की लत छुड़ाने में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं टाइप-2 मधुमेह के कुछ गंभीर दुष्प्रभावों को भी ठीक करने में कारगर हैं.

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Dalchand Kumar
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‘ओपियड’ की लत छुड़ाने वाली दवा टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में भी कारगर( Photo Credit : फ़ाइल फोटो)

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अनुसंधान में पाया है कि ‘ओपियड’ की लत छुड़ाने में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं टाइप-2 मधुमेह के कुछ गंभीर दुष्प्रभावों को भी ठीक करने में कारगर हैं. ओपियड मादक पदार्थ अफीम से निर्मित या उसके जैसे नशीले पदार्थ हैं जो दिमाग और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं. अनुसंधान में शामिल टीम ने उस प्रक्रिया का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है जिसमें शरीर में इंसुलिन की अधिक मात्रा होने पर उससे प्रतिरोध उत्पन्न होता है जो मधुमेह से जुड़ा है. विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) से वित्तपोषित इस अनुसंधान कार्य को हाल में ‘जर्नल ऑफ बॉयोलॉजिकल केमिस्ट्री’ में प्रकाशित किया गया है. 

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आईआईटी मंडी में मौलिक विज्ञान के स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर प्रसेनजीत मंडल ने कहा, 'इंसुलिन एक हार्मोन है जिसका स्राव अग्न्याशय से होता है और इसका इस्तेमाल कोशिकाएं रक्त से ग्लूकोज को सोखने के लिए करती हैं. टाइप-टू मधुमेह तब होता है जब कोशिकाएं विभिन्न कारणों से इंसुलिन का इस्तेमाल करने की क्षमता खो देती हैं. इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध की स्थिति को हाइपरइंसुलिनमिया कहते हैं जिसमें रक्त में इंसुलिन की अधिकता हो जाती है. इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध और हाइपरइंसुलिनमिया के बीच संबंध चक्रीय है. एक के बढ़ने के साथ दूसरा भी बढ़ जाता है.'

उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध से हाइपरइंसुलिनमिया होता है जिसमें कोशिका इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं करती और यह हार्मोन रक्त में ही बना रहता है. इसके उलट ‘हाइपरइंसुलिनमिया’ के बढ़ने से कैसे इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न होता है यह स्पष्ट नहीं है.' मंडल ने कहा, 'हम जानते हैं इंसुलिन प्रतिरोध का एक कारण सूजन है.' उन्होंने बताया कि अनुसंधानकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण प्रोटीन अणु -एसआईआरटी-1 का पता लगाया है जो ‘हाइपरइंसुलिनमिया’ को दबा सकता है.

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मंडल ने कहा, 'अनुसंधान टीम ने पाया कि नैलट्रेक्सोन (एलडीएन) की हल्की खुराक जिसका इस्तेमाल ओपियड की लत छुड़ाने में किया जाता है, एसआईआरटी-1 को सक्रिय कर सकता है जिससे सूजन में कमी आती है और इंसुलिन के प्रति कोशिकाओं की संवेदनशीलता बढ़ती है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है.' उल्लेखनीय है कि एलडीएन को पहले ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने मंजूरी दे रखी है और इसका आसानी से इस्तेमाल सूजन कम करने तथा मधुमेह को नियंत्रित करने में किया जा सकता है.

Source : Bhasha

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