Early Periods in Girls : लड़कियों में कम उम्र में पीरियड्स आना फिजिकल हेल्थ के लिए चिंताजनक विषय बनता जा रहा है. रिसर्च में इसे लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. रिसर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो आजकल 11 साल की उम्र से पहले पीरियड आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है. यही नहीं 9 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हो गई है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार पहली बार पीरियड आने का सही उम्र 12 साल और इससे अधिक को माना गया है. परंतु कई ऐसी बच्चियां हैं जिन्हे 8 से 9 साल में भी पीरियड (causes of early puberty) आ जाते हैं. पुराने जमाने में जहां पीरियड्स 11 से 15 वर्ष की उम्र में शुरू होते थे, वहीं आजकल कई लड़कियों को उनका पहला पीरियड महज 9 साल की छोटी सी उम्र में ही आ जाता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और आज कल के माता-पिता को क्या करना चाहिए. जानने के लिए पढ़िए ये खास रिर्पोट.
71,000 से ज्यादा महिलाओं पर हुई रिसर्च
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल की एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में लड़कियों का पहला पीरियड 1950 और 60 के दशक की तुलना में औसतन लगभग 6 महीने पहले आ रहा है. उन्होंने यह रिसर्च 71,000 से ज्यादा महिलाओं पर की थी. इस रिसर्च में पाया गया कि 1950 से 1969 के बीच पीरियड 12.5 साल की उम्र में शुरू होता था, जबकि 2000 से 2005 के बीच यह 11-12 साल की उम्र में शुरू हो गया था. अब 11 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है. ज्यादातर लड़कियों को रेगुलर पीरियडस् भी नहीं आ रहे हैं. नियमित पीरियड्स के कारण बहुत सी बीमारियां लड़कियों में बढ़ रही हैं, जिनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रो म या पीसीओएस(PCOS) भी शामिल है.
मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता
रिसर्च में दावा किया गया है कि लड़कियों में पीरियड्स जल्दी आना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इससे लड़कियों में हृदय रोग, मोटापा, गर्भपात (मिसकैरिज) और जल्दी मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है. इसके साथ ही जल्दी पीरियड्स (Early Periods) आने की वजह से ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर जैसे तमाम कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है. रिसर्चर के मुताबिक, "अगर किसी लड़की को 12 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 20% बढ़ जाता है."
ये है जल्दी पीरियड्स आने की वजह
शरीर में फैट की मात्रा का बढ़ना
आजकल की लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल चुकी है. छोटी उम्र से ही बच्चों को प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड दिए जाते हैं. जिस वजह से शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है. और शरीर में जमे फैट बॉडी में एस्ट्रोजन की मात्रा को बढ़ा देते हैं. ऐसे में 12 साल की उम्र से पहले बच्चों को पीरियड का सामना करना पड़ता है.
केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल
केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स भी है इसका कारणआजकल के बच्चे शुरुआत से हीं तरह तरह के केमिकल युक्त पदार्थों के संपर्क में रहते हैं. अब चाहे वह फ़ूड प्रोडक्ट हो, दवाइयां हों या उनके बॉडी केयर प्रोडक्ट्स हों. यह केमिकल शरीर में जिनोएस्ट्रोजन को बढ़ा देते हैं. जिस वजह से कम उम्र में ही पीरियड्स आने की संभावना बनी रहती है. आजकल लड़कियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कॉस्मैटिक प्रोडक्ट्स भी इसको बढ़ावा देते हैं.
स्ट्रेसफुल वातावरण
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी ने कम उम्र में पीरियड आने का एक कारण स्ट्रेसफुल लाइफ को भी बताया है. जब हमें तनाव ज्यादा होता है तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन और एण्ड्रो जन हार्मोन ज्यादा रिलीज होते हैं. फैट टिशू इन हार्मोनों को एस्ट्रो जन में बदल देता है, जो ब्रेस्ट को बढ़ाता है." एस्ट्रो जन के रिलीज के स्तर में आया यह बदलाव भी शरीर में पीरियड्स शुरू होने का संकेत देता है.
खानपान का भी असर
स्टडी के अनुसार जो बच्चे 3 से 5 साल की उम्र में प्लांट प्रोटीन की तुलना में एनिमल प्रोटीन का ज्यादा सेवन करते हैं उनमें अर्ली ऐज पीरियड्स देखने को मिलता है.
बेटियों का ऐसे रखें ख्याल
1. बेटियों को पीरियड्स के बारे में आसान और सही जानकारी दें. उन्हें बताएं कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें घबराने की जरूरत नहीं है.
2. बेटियों के खाने में हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन शामिल करें. फास्ट फूड और केमिकल युक्त भोजन से बचाएं.
3. पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखें. उन्हें सिखाएं कि सैनिटरी पैड्स का सही इस्तेमाल कैसे करें और समय-समय पर इन्हें बदलें.
4. पीरियड्स के समय लड़कियां भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकती हैं. उनसे बात करें, उन्हें समझाएं और उनका समर्थन करें.
5. पीरियड्स के समय आरामदायक और साफ कपड़े पहनने की सलाह दें. इससे वे अधिक सहज महसूस करेंगी.
6. अगर उन्हें पेट दर्द हो तो गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें.जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवाइयां भी दी जा सकती हैं.
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Disclaimer सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
Source : News Nation Bureau