जायडस कैडिला की डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बीच एक और अच्छी खबर आई है. भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की एक डोज दी जा चुकी है. कोरोना संक्रमण से जंग में टीकाकरण (Vaccination) ही कारगर है भारत इस बात को समझ वैक्सीनेशन की रफ्तार और तेज करने जा रहा है. भारत बायोटेक की एक इकाई में आई गड़बड़ी की वजह से रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई थी, जिसे अक्टूबर से और गति मिलने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं. यह अलग बात है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों का आंकड़ा फिलहाल 10 फीसदी से भी कम है.
33.3 फीसदी आबादी को लगी डोज
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार टीकाकरण के लिए योग्य 18 वर्ष और उससे अधिक आयुवर्ग को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है. गुरुवार तक देश में कोरोना के कुल 57 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए जा चुके थे. इनमें साढ़े 44 करोड़ से ज्यादा पहली और करीब 13 करोड़ दूसरी डोज शामिल हैं. इस लिहाज से देखें तो देश की आबादी के 33.3 फीसद लोगों को कम से कम एक डोज और 9.6 फीसद को दोनों डोज लग चुकी हैं. वैक्सीन के पात्र 18 के वय और इससे ऊपर लोगों की संख्या 94 करोड़ है.
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अक्टूबर से बढ़ेगी टीकाकरण की रफ्तार
स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी एक बयान के अनुसार कोरोना वैक्सीन के ये आंकड़े जुलाई में भारत बायोटेक की बेंगलुरु इकाई में गड़बड़ी आने से पूरे नहीं हो सके. वैक्सीन की सप्लाई बधित होने के बावजूद जुलाई में 13.45 करोड़ डोज लगाई गईं. आंकड़ों के मुताबिक अगस्त के 19 दिनों में 10.20 करोड़ से अधिक लोगों को डोज दी जा चुकी हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक अगस्त के आखिर या सितंबर तक भारत बायोटेक की बेंगलुरु इकाई में उत्पादन शुरू हो जाएगा. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इसके बाद देश के टीकाकरण अभियान में और तेजी आएगी. यही नहीं, फिलहाल राज्यों को वैक्सीन तय कोटे के तहत दी जा रही है. अक्टूबर से कोटा भी खत्म कर दिया जाएगा. इससे टीकाकरण की रफ्तार प्रतिदिन 1.5 करोड़ का आंकड़ा छू सकती है.
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जल्द आने वाली हैं कोरोना की और वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक टीकाकरण की यह रफ्तार स्वदेशी टीकों से हासिल की जा सकी है. वैश्विक टीकों की बात करें तो हाल-फिलहाल सिर्फ रूसी स्पुतनिक-वी के ही देश में इस्तेमाल की अनुमति मिली है. कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सहारे ही देश में लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है. हालांकि अच्छी बात यह है कि दो और वैक्सीन को और अनुमति मिलने की उम्मीद है. इनमें से एक जायडस कैडिला वैक्सीन 12 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाई जाएगी. यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है. यह सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करती है और मजबूत प्रतिरक्षा कवच देती है. यही नहीं बायोलाजिकल ई वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो चुका है. सितंबर में इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी अनुमति मिल सकती है.
HIGHLIGHTS
- देश के हर तीन में से एक शख्स को लगी कोरोना की एक डोज
- दोनों डोज लेने वालों की संख्या फिर भी 10 फीसदी से है कम
- अक्टूबर से आएगी कोविड-19 टीकाकरण की रफ्तार में और तेजी