Advertisment

हड्डियों में हर दर्द आर्थराइटिस नहीं होता, साइट्रोन चिकित्सा से इलाज संभव

उम्र के साथ ही लोग जोड़ों के दर्द से परेशान होने लगते हैं. बहुत से उपाय करने के बाद भी दर्द से निजात पाना मुश्किल होता है.

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
हड्डियों में हर दर्द आर्थराइटिस नहीं होता, साइट्रोन चिकित्सा से इलाज संभव

उम्र के साथ ही लोग जोड़ों के दर्द से परेशान होने लगते हैं.

Advertisment

उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर के अंग बेवफाई करने लगते हैं. बुढ़ापा आने की सबसे पहली निशानी जोड़ों का दर्द होती है. उम्र के साथ ही लोग जोड़ों के दर्द से परेशान होने लगते हैं. बहुत से उपाय करने के बाद भी दर्द से निजात पाना मुश्किल होता है. परंतु अब शल्य चिकित्सा (Surgery) विज्ञान में उपलब्ध तकनीकों द्वारा इस रोग से छुटकारा पाना संभव है. अब बिना शल्य क्रिया (सर्जरी) के ही साइट्रोन चिकित्सा से इस पर काबू पाया जा सकता है. 

यह भी पढ़ेंः संतरे का जूस और पत्तेदार हरी सब्जियां खाने से बुढ़ापे में होता है ये फायदा

सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक डॉ. एस.एस. सिबिया का कहना है कि आमतौर पर लोगों को पूरी जानकारी न होने के कारण शरीर में हड्डियों या मांसपेशियों में हर दर्द को आर्थाइटिस मान लेते हैं. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हैं. वास्तव में जोड़ों में होने वाले शोध या जलन को आर्थाइटिस कहा जाता है और इससे शरीर के केवल जोड़ ही नहीं बल्कि कई अंग भी प्रभावित होते हैं. इससे शरीर के विभिन्न जोड़ों पर प्रभाव पड़ता है. वैसे तो आर्थाइटिस कई तरह के होते हैं. पर खास तौर से चार तरह के आर्थाइटिस ही देखने में आते हैं-रयूमेटाइड आर्थइटिस,आस्टियो आर्थाइटिस गाउरी आर्थाइटिस और जुनेनाइल आर्थाइटिस.

यह भी पढ़ेंः किसी खास तरह के भोजन से नहीं होता है अल्‍सर, ये है इसका असली कारण, ऐसे करें बचाव

डॉ. असर अली बताते हैं कि कार्टिलेज के अंदर तरल व लचीला उत्तक होता है जिससे जोड़ों में संचालन हो पाता है और जिसकी वजह से घर्षण में कमी आती है. हड्डी के अंतिम सिरे में शॅार्क अब्जार्बर लगा होता है, जिससे फिसलन संभव हो पाता है. जब कार्टिलेज में रासायनिक परिवर्तन के कारण उचित संचालन नहीं हो पाता है, तब ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति हो जाती है. जोड़ों में संक्रमण के चलते कार्टिलेज के अंदर रासायनिक परिवर्तन के कारण ही ऑस्टियोआर्थ-राइटिस होता है. यह तब होता है,जब हड्डियों का आपस में घर्षण ज्यादा होता है. जोड़ों में दर्द व कड़ापन, कार्टिलेज में झझरी जैसी आवाज (ग्रेटिंग साउंड),चलने-फिरने में परेशानी,जोड़ों में सूजन,जोड़ों का विकृत होना.

यह भी पढ़ेंः क्‍या छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए दूसरे विद्याचरण शुक्‍ल साबित होंगे अजीत जोगी

डॉ. सिबिया के अनुसार अब बिना शल्य क्रिया (सर्जरी) के ही साइट्रोन चिकित्सा से इस पर काबु पाया जा सकता है. बायो-इलेक्ट्रोनिक उत्तक के कारण घुटने के कार्टिलेज दोबारा भी विकसित हो सकते हैं. जिस जगह को ठीक करना होता है,उस जगह पर साइट्रोन के द्वारा उच्च तीव्रता वाला इलेक्ट्रोमैग्रेटिक बीम का प्रयोग किया जाता है. इस विधि से न सिर्फ घुटनों के जोड़ों में दर्द से राहत पहुंचती है और साथ ही कॉर्टिलेज का दोबारा निर्माण होने में भी मदद मिलती है. इस तरह घुटनों को शल्य चिकित्सा द्वारा काट कर हटाने की नौबत भी नहीं आती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें रोगी को किसी प्रकार की तकलीफ का अनुभव भी नहीं होता है. घुटने के जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने का यह सबसे आसान व सुरक्षित उपाय है.

Source : News Nation Bureau

health news Joint Pain arthritis treatment of Arthritis what is arthritis what are doing in arthritis old age disease
Advertisment
Advertisment
Advertisment