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कोरोना में रामबाण नहीं है रेमडेसिविर, ज्यादा पैसा खर्च करना बेकार: विशेषज्ञ

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के सचिव और वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ. वीएन अग्रवाल (Dr. VN Agarwal) ने बताया कि 'यह एंटी वायरल दवा है. जरूरी नहीं कि यह हर प्रकार के वायरस को मार सके.'

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Karm Raj Mishra
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Remdesivir injection

Remdesivir Injection( Photo Credit : News Nation)

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कोरोना वायरस संकट के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) के लिए चारो तरफ हाहाकार मचा पड़ा है. लोग इसे खरीदने के लिए मुंहमांगी कीमत भी दे रहे हैं. संक्रमितों के तीमारदार इसे रामबाण मान रहे हैं. जबकि विशेषज्ञों का साफ कहना है कि 'यह जीवन रक्षक नहीं बल्कि महज एक एंटी वायरल है. यह मृत्युदर करने में सहायक नहीं है. इस पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं. यह वाजिब नहीं है.' इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के सचिव और वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ. वीएन अग्रवाल (Dr. VN Agarwal) ने बताया कि 'यह एंटी वायरल दवा है. जरूरी नहीं कि यह हर प्रकार के वायरस को मार सके.'

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डॉ. वीएन अग्रवाल ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन मुख्यतः इबोला वायरस बहुत पहले हुआ करता था, उसे यह नष्ट करता था. लेकिन 2020 में जब कोविड आया, कुछ रिसर्च में यह पता चला कि इसका कुछ असर कोविड में है. लेकिन कितना कोविड में कारगर है यह पता नहीं चल सका. कोई मरीज बहुत ज्यादा दिक्कत में उसके आक्सीजन में बहुत कमी हो. तो कहीं कोई दवा काम नहीं कर रही है. अस्पताल में भर्ती हो तो इसे कुछ असरदार मानकर दे सकते हैं. अंधेरे में तीर मारने जैसा ही है. इसको देने से पहले स्टारॉइड वैगरा दें. हो सकता है कुछ असर आ जाए. 

उन्होंने कहा कि इस दवा की कोई ज्यादा सार्थकता नहीं है. आदमी के दीमाग में फितूर है कि दवा कोरोना पर काम कर रही है इसीलिए महंगी हो गयी है. लेकिन नये रिसर्च में देखने को मिला है कि यह दवा मृत्यु दर को कम नहीं कर पा रही है. गंभीर मरीज यदि 15 दिन में निगेटिव होता है. इसके इस्तेमाल से वह 13 दिन में निगेटिव हो जाता है. रिसर्च में पता चला है कि फेफड़े के संक्रमण में यदि बहुत ज्यादा बहुत प्रभावी नहीं है. मरीज सीरियस हो रहा हो तो इसकी जगह स्टेरॉयड और डेक्सोना दी जा सकती है. 

उन्होंने कहा कि खून पतला करने के लिए हिपैरिन देना चाहिए. इन सबका 90 प्रतिशत असर है. जबकि रेमडेसिविर का असर महज 10 प्रतिशत है. इतनी महंगी दवा को भारतीय चिकित्सा में देना ठीक नहीं है. स्टेरॉयड और खून पतला करने वाली दवा फेल होती है. तब ऐसी दवा का प्रयोग कर सकते हैं. हर महंगी चीज अच्छी नहीं होगी.'

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केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश का कहना है कि, "यह दवा जीवन रक्षक नहीं है. शुरुआती दौर में इसका कुछ रोल है. दूसरे हफ्ते में हाईडोज स्टेरॉयड का महत्व है. डब्ल्यूएचओ ने अपनी लिस्ट से कब से हटा दिया है. इसके पीछे भागने से कोई फायदा नहीं है."

बता दें कि रिसर्च रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है, यह काफी पहले कई बीमारियों में प्रयोग की जा चुकी है. रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. हालांकि कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढंग से काम करने पर काफी सवाल उठे हैं. कई देशों में इसके इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है.

HIGHLIGHTS

  • IMA के सचिव बोले- रेमडेसिविर कोरोना की दवा नहीं है
  • 'रेमडेसिविर के लिए ज्यादा पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है'
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