Advertisment

Eye Flu से हैं परेशान तो हो जाएं सावधान, ना करें ये गलतियां...जानें- बचाव का सिंपल तरीका

आई फ्लू मानसून के मौसम में बदलते तापमान और बैक्टीरियां की वजह से पनपता है.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
Eye Flu

Eye-Flu ( Photo Credit : google)

Eye Flu: बरसात को मौसम में अचानक देश के राज्यों में आई फ्लू (Eye Flu) का कहर देखने को मिल रहा है. भारी संख्या में लोग आंखों की इस परेशानी से बेहाल हैं. आई फ्लू को मेडिकल की भाषा में कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) कहा जाता है. आई फ्लू से संक्रमित होने पर लोगों की आंखें लाल हो जाती हैं और उनमें खुजली होने लगती है. आंखों से पानी बहने लगता है और रोशनी से दिक्कत महसूस होने लगती है. कई लोगों की आंखों में सूजन भी देखने को मिलती है. आई फ्लू के बढ़ते कहर के बीच इस तरह की बातें भी सामने आई हैं कि ये संक्रमित व्यक्ति की आंखें देखने से भी फैल सकता है. आखिर इसकी हकीकत क्या है कैसे इससे बचा जा सकता है और आई फ्लू कितने प्रकार का होता है जानते हैं इस रिपोर्ट में. 

Advertisment

डॉक्टर की सलाह है जरूरी

आई फ्लू मानसून के मौसम में बदलते तापमान और बैक्टीरियां की वजह से पनपता है. ये संक्रमण आंखों में बार बार हाथ लगाने, अच्छे से साफ सफाई ना करने और एक ही तौलिया या रुमाल शेयर करने से हो सकता है. आई फ्लू से संक्रमित होने पर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. ये सेल्फ लिमिटिंग इंफेक्शन है, जो एक या दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है. इसे ठीक करने के लिए किसी टैबलेट की जरूरत नहीं होती है. अगर आंखों में ज्यादा इरिटेशन हो रही है तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है.

publive-image

Advertisment

कितनी तरह का हो सकता है आई फ्लू 

वायरल कंजक्टिवाइटिस

कंजक्टिवाइटिस का ये प्रकार सबसे अधिक कॉमन है. ये एक वायरल संक्रमण के कारण होता है. ये अक्सर वही वायरस होते हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं. ये संक्रमित आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और बहुत संक्रामक होता है. आंखें लाल होना, फ्लूइड डिस्चार्ज, खुजली और प्रकाश संवेदनशीलता इसके लक्षण हैं. ये आमतौर पर एक या दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है. 

Advertisment

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस

ये संक्रमण आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है. इससे आंखों के चारों ओर रेडनेस, सूजन, चिपचिपा या मवाद जैसा डिस्चार्ज और पपड़ी जम जाती है. ये बेहद संक्रामक हो सकता है. बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप से किया जाता है.

केमिकल कंजक्टिवाइटिस

Advertisment

आई फ्लू का ये प्रकार धुएं, एसिड या अल्कलाइन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के बाद विकसित होता है. इसके परिणामस्वरूप आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन हो सकता है. इसका इलाज कराने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना है. 

publive-image

आई फ्लू से बचने के उपाय

Advertisment

-बार-बार हाथों से आंखों को टच ना करें.

-हाथों की अच्छे से सफाई करें.

-अपनी आंखों को दिन में दो से तीन बार ठंडे और साफ पानी धोएं.

-आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के साथ तौलिया, कपड़े या रुमाल शेयर न करें. 

-आई फ्लू के दौरान टीवी या मोबाइल से दूरी बनाकर रखें. 

-बिना किसी डॉक्टर को दिखाएं आई ड्रॉप ना लें

-आंखों में ज्यादा दर्द, सूजन बढ़ने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. 

ये है गलतफहमी 

आई फ्लू संक्रमित व्यक्ति की आंखें देखने से दूसरे को फैल सकता है ये सबसे बड़ी गलतफहमी है. आमतौर पर आई फ्लू सर्फेस से फैलता है. अगर संक्रमित व्यक्ति कहीं हाथ लगाए और उस जगह के संपर्क में आने वाला व्यक्ति अपनी आंखों पर हाथ लगा ले, तो ये वायरस फैल जाएगा. इससे बचने के लिए साफ-सफाई बेहद जरूरी है.

HIGHLIGHTS

  • आई फ्लू का बढ़ा खतरा.
  • आई फ्लू से संक्रमित होने पर साफ-सफाई का रखें ध्यान.
  • आंखों में ज्यादा इरिटेशन होने पर डॉक्टर की सलाह है जरूरी.

Source : News Nation Bureau

Eye flu Pink eye disease health tips Eye problem
Advertisment
Advertisment