सर्दी का मौसम जानें को है, लेकिन अंडों की डिमांड बढ़ जाती है. चिकित्सकों के मुताबिक वैसे तो अंडा सेहत के लिए फायदेमंद होता है. आमतौर पर लोग ब्वायल, ऑमलेट या फिर दूध के साथ भी इसका सेवन करते हैं, लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि बाजार में नकली अंडों की खेप भी आ चुकी है. एक्सपर्ट के मुताबिक नकली अंडा मनुष्य बॅाडी के लिए बेहद खतरनाक है. इसके लगातार सेवन से मनुष्य अपंग तक भी हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि इस अंडे का लगातार सेवन करने से कैंसर होने की भी संभावना बढ़ जाती हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है आखिर हम कैसे पहचानें कि अंडा असली है या नकली. तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप असली और नकली अंडों की पहचान कैसे कर सकते हैं..
ऐसे बनता है नकली अंडा
विषेशज्ञ डॉ. निकेतन बताते हैं कि नकली अंडे के बाहरी हिस्से को बनाने के लिए जिप्सम चूर्ण, कैल्शियम कार्बोनेट और तेल युक्त मोम का इस्तेमाल होता है. कैल्शियम की मात्रा उतनी ही होती है कि जितना एक मनुष्य खा सकता है. इसके अंदर वाला हिस्सा जिलोटिन, सोडियम एल्गिनाइट और कैल्सियम की मदद से बनाया जाता है. इसका रंग बिल्कुल अंडे की तरह होता है, इसलिए इसकी पहचान कर पाना मुश्किल है.
क्या है बनाने की विधि ?
गरम गुनगुने उचित पानी में सोडियम एल्गिनाइट मिलाया जाता है. इसके बाद जिलोटिन बेंजाइक अम्ल एल्यूम और कुछ दूसरे रसायनों के साथ मिलाकर अंडे का सफेद वाला भाग तैयार किया जाता है. इसे बाद मिश्रण में कैल्सियम क्लोराइड डालकर उसे अंडे के आकार में ढाल दिया जाता है. कृत्रिम अंडा केवल रासायनिक पदार्थों से तैयार किया जाता है.
कैसे करें पहचान ?
कृत्रिम अंडे का बाहरी छिलका हल्के भूरे कलर और खुरदरा होता है. जबकि असली अंडा चिकना होता है. उबालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट का आवरण तोड़ने पर कृत्रिम अंडे का भीतरी हिस्सा असली की तुलना में बेहद कठोर और रबर की तरह खिंचता है. पीला भाग थोड़ी उंचाई से छोड़ने पर गेंद की तरह उछलता है. यह धारदार वस्तु से ही काटा जा सकता है. चीनी व नकली अंडे के भीतर से भी असली की तरह ही पदार्थ निकलता है.
Source : News Nation Bureau