अगर आप प्रजनन क्षमता के उपचार की योजना बना रहे हैं तो सर्तक हो जाइए, क्योंकि इससे आपके बच्चे में ऑटिज्म का जोखिम बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन उपचार के मामले में प्रजनन क्षमता का उपचार वाले लोगों में ऑटिज्म वाले बच्चे की संभावना इस उपचार को नहीं लेने वालों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रविवार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोजेस्टेरोन एक भ्रूण स्टेरॉयड हॉर्मोन है, जिसकी दिमाग के विकास के लिए जरूरत होती है। एक परिकल्पना है कि यह ऑटिज्म के विकास के लिए एक आनुवांशिक प्रणाली को सक्रिय करता है।
शोधकर्ताओं ने शोध में इजरायल के हाइफा विश्वविद्यालय के 108,548 लड़कों को शामिल किया, क्योंकि लड़कियों की तुलना में लड़कों में ऑटिज्म होने का खतरा ज्यादा होता है।
और पढ़ें: अगर बच्चे को कराती हैं ब्रेस्ट फीडिंग तो स्मोकिंग से रहें दूर, होता है ये नुकसान
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि गर्भावस्था से पहले प्रोजेस्टेरॉन का दिया जाना भ्रूण के दिमाग के विकास को महत्वपूर्ण चरणों में प्रभावित कर सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हॉल के वर्षो में ऑटिज्म के विकास पर असर डालने वाले पर्यावरणीय कारकों की पहचान की कोशिश की गई है।
और पढ़ें: महिलाओं में अंडाशय विकार से नवजात को ऑटिज्म का खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे लेकर एक वैज्ञानिक व चिकित्सा विवाद है। कुछ शोध में पाया गया है कि प्रजनन क्षमता उपचार और ऑटिज्म में, खास तौर से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) उपचार में कोई संबंध नहीं है। अन्य शोधों में व्यक्ति के हार्मोन व ऑटिज्म में संबंध पाया गया है।
ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार एक दिमाग के विकास से जुड़ी हुई दशा है, जिससे एक व्यक्ति के दूसरों के साथ समाजीकरण व कैसे वह उन्हें समझता है, इस पर असर पड़ता है। इसकी वजह से सामाजिक बातचीत व संचार में समस्या पैदा होती है।
Source : IANS