कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर पूरी दुनिया भयभीत है. ओमिक्रॉन से अब डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस वैरिएंट का खतरा टल जाएगा. सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया था. बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन बहुत तेजी से अपना पांव पसार रहा है. दक्षिण अफ्रीका से रिपोर्ट है कि जितनी तेजी से ओमिक्रॉन वैरिएंट फैला है तो उतनी ही तेजी से कम भी हो रहा है. वाशिंगटन पोस्ट ने यह रिपोर्ट दी है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, एक सप्ताह पहले तक दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा था. ओमिक्रॉन की जांच के लिए हर केंद्रों पर भारी भीड़ रहती थी, लेकिन एक हफ्ते में ही बदलाव देखने को मिला. ओमिक्रॉन के कम मामले सामने आ रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका के टॉप संक्रामक-रोग वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन ने अपने पीक को पार कर लिया है और अब संक्रमितों की संख्या में कमी आ रही है.
डेल्टा वैरिएंट से 80 प्रतिशत कम घातक है ओमिक्रॉन
ओमिक्रॉन को लेकर दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज ने एक स्टडी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार, ओमिक्रॉन में अस्पतालों में भर्ती होने की संभावना डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले 80 फीसदी कम है. साथ ही अगर ओमिक्रॉम से संक्रमित कोई मरीज अस्पताल में भर्ती हो जाता है तो उनमें गंभीर बीमारी का जोखिम भी 30 फीसदी कम है.
अफ्रीका के वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन के कम गंभीर होने की कई वजह हो सकती हैं. कोरोना के पिछले वैरिएंट से पहले ही अफ्रीका की एक बड़ी आबादी संक्रमित हो चुकी है. ऐसे में वहां के लोगों की एंटीबॉडी मजबूत है. वैज्ञानिकों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में बहुत अधिक म्यूटेट हुए वैरिएंट शीघ्र ही कम हो जाते हैं. इस रिपोर्ट को देखकर विश्वभर के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं.
Source : Deepak Pandey