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H3N2 Influenza: फ्लू होने पर खुद से न लें कोई दवा, भारी पड़ सकती हैं ये गलतियां

इन्फ्लुएंजा फ्लू वायरस ए, बी और सी के कारण होता है. इन्फ्लूएंजा बी वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है, जिससे हर साल मौसमी प्रकोप होता है.

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Amita Kumari
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H3N2 Influenza

इन्फ्लुएंजा फ्लू वायरस( Photo Credit : सोशल मीडिया)

H3N2 Influenza: देश भर में इन्फ्लूएंजा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस बीच, लोग डॉक्टरों से सलाह लिए बिना एंटी-बायोटिक टैबलेट लेने के लिए मेडिकल स्टोर्स पर जा रहे हैं. हालांकि, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने दर्दनाक खांसी से पीड़ित लोगों या रोगियों को बिना डॉक्टर की सलाह दवा खाने के लिए मना किया है. डॉक्टर लोगों को एंटीबायोटिक्स लेने से बचने की सलाह देते हैं, जो अक्सर अप्रभावी होते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर और जनवरी के बीच, पश्चिम ने इन्फ्लूएंजा A (H1N1) pdm09, A (H3N2) और B वायरस का अनुभव कई देशों में किया.

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इन्फ्लुएंजा फ्लू वायरस ए, बी और सी के कारण होता है. इन्फ्लूएंजा बी वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है, जिससे हर साल मौसमी प्रकोप होता है. यह इन्फ्लूएंजा ए वायरस जितना गंभीर नहीं है, लेकिन लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, खांसी, नाक बहना और छींक आना, थकान और शरीर में दर्द शामिल हैं. लोग बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ से पीड़ित हैं. सबसे आम लक्षण लगातार आने वाली खांसी है. लंबे समय तक खांसी वायु प्रदूषण के कारण हो सकती है जो श्वसन प्रतिरक्षा को कम करती है. 

H3N2 इन्फ्लुएंजा से बचाव की बात करें तो फ्लू होने से बचने के लिए, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए. डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना की तरह हाथ साफ रखें और बार-बार हाथ धोएं.

वहीं, बाहर जाने पर मास्क जरूर पहनें और बिना दिखाए खुद से कोई भी दवा न लें. 

बता दें कि कोरोना की तरह ही H3N2 इन्फ्लुएंजा पूरे देश में बड़ी तेजी से फैल रहा है. होली के बाद H3N2 इन्फ्लुएंजा में और भी तेजी देखने को मिल रही है. यह इन्फ्लुएंजा उन लोगों के बेहद खरतनाक हो सकता है जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है. यहां तक कि कई मरीजों को इन्फ्लुएंजा के बाद खांसी लंबे समय तक रह जा रही है और कई लोगों को खांसी के बाद चेस्ट इंन्फेक्शन की शिकायत भी हो रही है. इसलिए इन्फ्लुएंजा के बाद अगर लंबी खांसी हो रही है तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 

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वहीं, बेहतर महसूस होने पर लोगों को एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देना चाहिए क्योंकि इससे प्रतिरोध पैदा होता है. कई अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का कुछ शर्तों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है और रोगियों के बीच प्रतिरोध विकसित हो रहा है. उदाहरण के लिए, डायरिया के 70% मामले वायरल डायग्नोसिस के होते हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कई बार लोग एंटीबायोटिक दवाइयां ले लेते हैं, जो कि मरीजों के लिए बेहद नुकसानदायक है. 

 

इसके साथ ही लंबी खांसी से राहत के लिए कुछ घरेलू उपाय भी अपनी सकते है. 

-अदकर को कूट कर पानी में कुछ देर उबालें और इसमें एक चम्मच शहद मिला दे और घूंट-घूंट कर पीयें. इसे आप दिन में दो बार सुबह-शाम पी सकते हैं. इससे छाती में जमें हुए कफ से भी राहत मिलती है. 

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-इसी तरह तुलसी की 7-8 पत्तों को अदरक और दो कालीमिर्च के साथ उबालें, फिर इसे छान कर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी कफ कम हो जाएगा. 

-अजवाइन से फेफड़ें में जमा हुआ कफ भी कम हो जाता है. अजवाइन को पानी में उबाल कर और छानकर पीएं. इसे दिन में दो बार पी सकते हैं. अजवाइन का पानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में मदद करता है. 

- शहद को एक चम्मच अदरक के साथ मिलाकर पीने से खांसी में राहत मिलती है. इसके साथ ही 2-3 कालीमिर्च को एक चम्मच घुनगुने घी में मिलाकर राक को सोने के समय पीने से भी खांसी में राहत मिलेगी.  

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