भारत में बचपन का मोटापा एक चिंताजनक स्थिति बन चुकी है. 2003-2023 के बीच 21 अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण से एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है. इस विश्लेषण के अनुसार, भारत में बचपन के मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 8.4% है, वहीं अधिक वजन (overweight) वाले बच्चों की संख्या 12.4% है. बच्चों के मोटापे के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. ये स्थिति बहुत ही गंभीर है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के मोटापे का सीधा संबंध उनके आहार से है. आजकल बाजार में बच्चों को टारगेट करते हुए ऐसे पैक्ड फूड बनाए जा रहे हैं जो कई बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं. इन पदार्थों में बहुत अधिक मात्रा में चीनी होती है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है.
पैकेज्ड फूड्स कैसे बन रहे हैं बच्चों के लिए खतरा
बचपन का मोटापा कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे कि टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, और सांस लेने में तकलीफ. ज्यादा वजन होना बच्चों के आत्मसम्मान को भी प्रभावित कर सकता है. उन्हें स्कूल में या अन्य सामाजिक स्थितियों में छेड़ा जा सकता है. यह सच है कि भारत में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चीनी का उच्च स्तर बच्चों के मोटापे का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि भारतीय बच्चों के लिए बनाए गए कई पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा पश्चिमी देशों में बेचे जाने वाले समान उत्पादों की तुलना में कहीं अधिक होती है. भारत में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा बढ़ती हुई समस्या है. यह बच्चों के मोटापे में तेजी से वृद्धि का एक प्रमुख कारण बनती जा रही है.
निर्माता अक्सर पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में अधिक चीनी डालते हैं क्योंकि यह बच्चों को अच्छा लगता है. अधिक चीनी भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाती है, जिससे बच्चे बार-बार वही खाद्य पदार्थ खाना चाहते हैं. चीनी अन्य मिठासों की तुलना में एक सस्ता मीठा है, इसलिए निर्माता लागत कम रखने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. व्यस्त जीवनशैली के कारण, कई माता-पिता अपने बच्चों को जंक फूड और पैकेज्ड स्नैक्स खिलाते हैं, जिससे उन्हें संतुलित आहार नहीं मिल पाता है. पौष्टिक आहार की कमी से मोटापे का खतरा बढ़ जाता है. बचपन का मोटापा न केवल बच्चों के लिए शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है, बल्कि यह उनके भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. अतिरिक्त वजन वाले बच्चों को अक्सर तंग किया जाता है, जिससे उनका आत्मसम्मान कम हो सकता है और अवसाद हो सकता है.
आप क्या कर सकते हैं?
पैकेज्ड फूड्स में अक्सर छिपी हुई शर्क होती है. इसका मतलब है कि लेबल पर बताई गई चीनी से कहीं ज्यादा चीनी वास्तव में उस प्रोडक्ट में होती है. पैकेज्ड फूड्स को आम तौर पर मीठा बनाया जाता है ताकि बच्चों को उनका स्वाद पसंद आए. यह मीठा स्वाद बच्चों को अधिक चीनी का सेवन करने के लिए प्रेरित करता है. पैकेज्ड फूड्स में अक्सर पोषण की कमी होती है. इनमें जरूरी विटामिन, मिनरल्स और फाइबर नहीं होते हैं जो बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी होते हैं. अपने बच्चे के आहार में ताजे फलों और सब्जियों को शामिल करें. ये विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होते हैं जो बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक हैं.
जब भी संभव हो, घर पर खाना बनाएं. इससे आप खाने की सामग्री पर नियंत्रण रख सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ भोजन खा रहा है. अपने बच्चे को दिन भर में भरपूर पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें. इससे उन्हें स्वस्थ रहने और मीठे पेय पदार्थों से बचने में मदद मिलेगी. जब आप पैकेज्ड खाद्य पदार्थ खरीदते हैं, तो लेबल पर चीनी की मात्रा जरूर देखें. उन उत्पादों को चुनने का प्रयास करें जिनमें कम चीनी हो. अपने बच्चों को चीनी के खतरों के बारे में बताएं. चीनी के अधिक सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में समझाएं. उन्हें यह समझने में मदद करें कि स्वस्थ भोजन विकल्प उनके लिए बेहतर क्यों हैं.
सरकार की भूमिका
बच्चों के मोटापे को रोकने के लिए सरकार भी अहम भूमिका निभा सकती है. पैकेज्ड फूड्स पर चीनी की मात्रा को स्पष्ट रूप से लेबल करने के लिए सख्त नियम लागू करना चाहिए. बच्चों को लक्षित करने वाले अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विज्ञापन को विनियमित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. बच्चों का मोटापा एक गंभीर समस्या है. माता-पिता को अपने बच्चों के लिए स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने के लिए जागरूक होना चाहिए. साथ ही, सरकार को भी पैकेज्ड फूड्स के विनियमन और बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए. यह समस्या तभी हल हो सकती है जब माता-पिता और सरकार मिलकर काम करें.
भारत सरकार को भी इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. सरकार पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा को विनियमित करने और निर्माताओं को बच्चों के लिए अधिक स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थ बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठा सकती है. बच्चों का मोटापा एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अभिभावकों और सरकार को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि बच्चों को स्वस्थ भोजन विकल्प प्रदान किए जा सकें और उन्हें बचपन के मोटापे के खतरों से बचाया जा सके.
Source : News Nation Bureau