Health Tips: कहते है की बड़ी महामारी हर 100 साल में एक बार आती है. क्योंकि हमने बीसवीं सदी में देखा की किस तरीके से स्पेनिश फ्लू आया था और 3 साल पहले कोविड 19 को भी पूरी दुनिया ने देखा. लेकिन एक और महामारी है, जिसका उदय तो अमेरिका से हुआ लेकिन अब पूरी की पूरी दुनिया में वो अपने पैर पसारते हुए नजर आ रही है. इस महामारी का नाम है फास्ट फूड. आप कहेंगे की खाना कैसे एक बिमारी हो सकता है? दरअसल फास्ट फूड सारे बीमारियों का जनक भी बन सकता है. 2 मिनट में नूडल्स बन जाते है. ये ऐड आपने कई बार देखी होगी. इसी नूडल्स को बनाने वाली कंपनी ने अपना डेटा दिया. अकेले भारत के अंदर 1 साल के अंदर 12 महीने के अंदर 23 से लेकर 24 अरब इनकी प्रोडक्ट्स यानी नूडल्स बेचे गए.
भारत की कुल आबादी सिर्फ 1.4 अरब है यानी हर एक भारतीय ने सिर्फ नूडल्स वो भी 2 मिनट में बनने वाले नूडल्स की बात करें तो 18 के आसपास फुड पैकेट फास्ट फुड के रूप में खाये हैं. और ये हालत लगभग एक फास्ट फूड की नहीं बल्कि पूरी की पूरी चैन की है. इसमें भी खास बात ये है की जो शहरी लोग है या उन राज्यों के लोग है जहाँ पर पर कैपिटाइन्कम यानी प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है, वहाँ ज्यादा फास्ट फूड बेचा जा रहा है, कंज्यूम किया जा रहा है और इस्तेमाल भी किया जा रहा है. अगर हम तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गोवा उन तमाम राज्यों की बात करें, उसमें पंजाब को जोड़ दीजिए, जहाँ पर कैपिटल इन्कम ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि वहाँ इन्डस्ट्राइलेजशन ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि वहाँ पर लोगों के पास वक्त कम है. इसका मतलब यह है कि पति पत्नी दोनों काम करते हैं और जब घर आते हैं तो जल्दी से खाना चाहिए होता है तो झटपट खाना मतलब फास्ट फूड.
यही स्थिति हमें नजर आती है जब शहर और गांव की तुलना की जाती है. यानी शहरों में फास्ट फूड का चलन गांव के अपेक्षा ज्यादा है. क्योंकि गांव में अभी भी भारतीय जनमानस दाल, रोटी, चावल या फिर अपने फूडिंग हैबिट के हिसाब से फिश फूड या नीट खाना पसंद करते हैं, घर में बनाना पसंद करते हैं, परिवार के साथ रहना पसंद करते हैं. लेकिन शहरों में ये स्थिति कम नजर आती है. फास्ट फूड इसी तरीके से तैयार होते हैं जो हमारे शरीर को जैसे मैंने शुरुआत में कहा था नुकसान पहुंचा सकते हैं. बीमारियों के जनक यानी महामारी ना सही, लेकिन मदर ऑफ़ ऑल डिजीज जरूर बनके सामने आ सकते हैं. फास्ट फूड बनते हैं प्रिज़र्वटिव से वो प्रिज़र्वटिव जो एक टमाटर सॉस को 1 साल की वैलिडिटी दे देते हैं. लेकिन आपका टमाटर घर में रखा हुआ अड़तालीस से 72 घंटों में खराब हो जाएगा. ये प्रिजर्वेटिव बहुत ही खतरनाक है. जब ये प्रिजर्वेटिव इंसान के शरीर के अंदर जाते हैं तो हमारे हार्मोनल सिस्टम को सबसे पहले डिसेप्ट कर देते हैं यानी प्रभावित कर देते हैं जिसकी वजह से क्या होता है कैंसर जैसी लाइलाज या फिर बहुत जानलेवा बीमारियां?
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Source : News Nation Bureau