हम सोचते थे कि COVID-19 महामारी से बाहर निकलने का रास्ता सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और वेंटिलेशन है. फिर हमारा ध्यान टीकों पर केंद्रित किया गया. क्या होगा अगर असली रास्ता सुपर इम्युनिटी, यानी वायरस से प्राकृतिक प्रतिरक्षा के साथ जोड़े गए टीके से मानव निर्मित प्रतिरक्षा प्राप्त करना है? शोधकर्ताओं ने एक प्रयोगशाला में सुपर-चार्ज प्रतिरक्षा के विचार का परीक्षण किया है. अध्ययन के परिणाम अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित हुए है. वैज्ञानिकों ने पाया कि वैक्सीनेशन के बाद कोविड-19 का इंफेक्शन हमारे शरीर में 'सुपर इम्यूनिटी' पैदा कर सकता है. ऐसे पता चला है कि एंटीबॉडी का स्तर केवल टीके की तुलना में 1,000% अधिक प्रभावी है.
असंख्य नुकसान, बेशुमार मौतों और अभूतपूर्व प्रतिबंधों के बावजूद, भारत में कई 'सूचित' व्यक्ति अवैज्ञानिक दावों और सिद्धांतों के साथ महामारी से इनकार करते हैं जो तर्क और विज्ञान दोनों को धता बताते हैं. सभी की तुलना में सुपर इम्युनिटी ज्यादा कारगर है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर सुपर इम्युनिटी है क्या ? तो आइए इसके बारे में जानते हैं?
क्या है सुपर इम्युनिटी?
'सुपर इम्यूनिटी' नैचुरल इंफेक्शन से बनी इम्यूनिटी और वैक्सीनेशन से बनी इम्यूनिटी का कॉम्बिनेशन है. जब लोग वैक्सीनेट होने के बावजूद Sars-CoV-2 से संक्रमित होते हैं तो उनमें 'सुपर इम्यूनिटी' बनती है जो हमे किसी भी अन्य वैक्सीनेशन से बचाने में मदद करता है और इसी को सुपर इम्युनिटी का नाम दिया गया है.
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कब तक काम करती है सुपर इम्युनिटी?
जैसे समय के साथ हर चीज का स्वाद फीका पड़ जाता है ऐसे ही सुपर इम्युनिटी का असर भी समय के साथ- साथ कम होने लगता है. सुपर इम्युनिटी भी एक समय बाद खत्म हो जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जितने समय तक दो वैक्सीनों का असर रहता है उतने ही समय तक सुपर इम्युनिटी भी बनी रहती है. लेकिन वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि सभी चीजों के मुकाबले सुपर इम्युनिटी ज्यादा कारगर और अच्छा है. हालांकि अभी भी इसपर शोध चल रहा है. कुछ वैज्ञानिकों ने इसे 'हाइब्रिड इम्युनिटी' का भी नाम दिया है.
Source : News Nation Bureau