Heart Attack Problem: कम उम्र में होने वाले हार्ट अटैक के कुछ कारण हो सकते हैं जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं. हार्ट अटैक, जिसे म्योकार्डियल इनफार्क्शन (Myocardial Infarction) भी कहा जाता है, हृदय के मांसपेशी (मायोकार्डियम) का क्षेत्र जो रक्त प्रवाह से जुड़ा होता है, की आंतरिक आवृत्ति की कमी या पूर्ण बंदिश के कारण हो सकता है. यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसमें रक्त प्रवाह कम हो जाता है और इस क्षेत्र की मांसपेशियों को योजित करने वाली धमनियों का ब्लड सप्लाई बंद हो जाता है. इससे हृदय की कोशिकाएं असमर्थ हो जाती हैं और यहां तक कि कुछ हिस्से का इलाज न किया जाए तो मौत हो सकती है.
फास्ट फूड़: युवा पीढ़ी में फास्ट फूड खाना सबसे अधिक चाव से खाते हैं. जिसमें अधिक मात्रा में तेल, नमक, और ऑयली फूड सामाहित होती है. ये हार्ट के लिए हानिकारक हो सकता है.
तंबाकू और धूम्रपान: तंबाकू और धूम्रपान का सेवन युवाओं में हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है.
अत्यधिक तनाव: युवा लोगों में अत्यधिक तनाव और दबाव के कारण भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है.
अत्यधिक वजन और कम व्यायाम: अत्यधिक वजन, अन्य आरामदायक चीजों की कमी, और नियमित व्यायाम की अभावीता हार्ट स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.
बीमारियों का पुरजोर: युवा वर्ग में डायबीटीज, उच्च रक्तचाप, और उच्च कोलेस्ट्रॉल की तरह बीमारियों का पुरजोर होना भी हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है.
आनुवंछनीय अंगसंगतियाँ: किसी को भी आनुवंछनीय अंगसंगतियाँ हो सकती हैं जो हार्ट अटैक के लिए जोखिम बढ़ा सकती हैं.
हार्ट अटैक के लक्षण:
1. छाती में दर्द या भारीपन 2. बाएं हाथ, कंधे, जबड़े या जांघ में दर्द 3.सांस की समस्याएं 4. थकान
उनमें से कोई भी या सभी को अनुभव करने पर तुरंत चिकित्सक से सहायता प्राप्त करना चाहिए.
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि युवाओं को अपने हार्ट का खास ख्याल रखना चाहिए. अपने डाइट में हेल्दी और संतुलित आहार लेने चाहिए. इसके अलावा नियमित व्यायाम करना चाहिए. इसके अलावा अपने हेल्थ पर ध्यान रखना चाहिए. अगर आप ये सभी आदतें जारी रखते हैं तो हार्ट हमेशा हेल्दी रहेगा. लेकिन किसी भी समय हार्ट संबंधित समस्याएं हो सकती है. अगर ऐसा हो तो वह तुरंत चिकित्सक से सलाह लें.
हार्ट अटैक के इलाज:
तुरंत चिकित्सा सहायता: हार्ट अटैक के लक्षणों को गंभीरता से लेकर तुरंत चिकित्सा सहायता की जरुरत होती है.
थैलेस्ट्रोम्बॉलाइटिक दवाएँ (ब्लड थिनर्स): इन दवाओं का सेवन करने से रक्त का प्रवाह बेहतर होता है और धमनियों में रक्त की कमी को कम किया जा सकता है.
थ्रॉमबोलिटिक दवाएँ: इन दवाओं का सेवन करने से खून में फिब्रिन का गुंथन कम होता है, जिससे थ्रॉम्बस (आधिक रक्त का थक्का) की बनावट कम होती है.
बेटा-ब्लॉकर्स और एस्पिरिन: इन दवाओं का सेवन करने से हृदय का बोझ कम हो सकता है और अन्य संबंधित उपचार में मदद मिल सकती है.
ध्यान रखें:
हार्ट अटैक का इलाज अत्यंत गंभीर होता है और स्वास्थ्य पेशेवर की मार्गदर्शन के बिना स्वयं दवा लेना या इलाज करना अत्यधिक जोखिमपूर्ण हो सकता है.
हार्ट अटैक के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सक की सलाह प्राप्त करें.
नियमित तौर पर चेकअप और आचार्य निरीक्षण के लिए स्वास्थ्य पेशेवर की सलाह लें.
Source : News Nation Bureau