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Heat Stroke: हीट स्ट्रोक से बचने के लिए 'जल चिकित्सा' है रामबाण इलाज, ऐसे करता है असर को कम

Hot Weather: जब किसी मरीज को बहुत तेज बुखार आता है ,उसके शरीर का तापमान 105 फारेनहाइट से ज्यादा पहुंच जाता है, उसे कोई अन्य बीमारी नहीं होती और वह तेज धूप या लू के संपर्क में आता है.

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Mohit Sharma
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Hot Weather

Hot Weather ( Photo Credit : File Pic)

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Hot Weather: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है. खासकर उत्तर भारत के राज्यों में तो हाल बुरा है. यहां तो मानों जैसे आसमान से आग बरस रही है. दिल्ली के मुंगेशपुरा में तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. जबकि राजस्थान के चुरू और जैसलमेर में गर्मी इस कदर बढ़ चुकी है कि तपती सड़कों पर लोक आमलेट तक सेक ले रहे हैं. ऐसे में मौसम जनित बीमारियों ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया है. हीट स्ट्रोक की वजह से अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच आज हम आपको हीट स्ट्रोक को लेकर कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं.

जल चिकित्सा से हीट स्ट्रोक का इलाज

जब किसी मरीज को बहुत तेज बुखार आता है ,उसके शरीर का तापमान 105 फारेनहाइट से ज्यादा पहुंच जाता है, उसे कोई अन्य बीमारी नहीं होती और वह तेज धूप या लू के संपर्क में आता है ,इस स्थिति को लू लगना या हीट स्ट्रोक कहा जाता है. इसमें दिमाग किसी वायरस से लड़ने के लिए बुखार नहीं करता, मस्तिष्क की कोशिश रहती है कि पसीने के जरिए शरीर के तापमान को कम किया जाए, लेकिन गर्मी और नमी की वजह से तापमान अपने आप बढ़ता है जिसमें पेरासिटामोल और डालो जैसी दवाइयां भी काम नहीं करती.

B. हीट स्ट्रोक में मृत्यु दर ?

हीट स्ट्रोक में मृत्यु दर 70% होती है ,यानी हर 10 में से 7 मरीजों की मृत्यु होना निश्चित माना जाता है. इसके तुलना अगर कोरोनावायरस से की जाए तो कोरोना के समय मृत्यु दर केवल 1% थी, यानी कोरोना से हीट स्ट्रोक 70 गुना ज्यादा खतरनाक है.

C. हीट स्ट्रोक की गंभीरता

यह समस्या अधिकांश मजदूरों के साथ होती है, जो तेज धूप में लगातार काम करते हैं. कई बार उनके शरीर का तापमान 107 फारेनहाइट से ज्यादा पहुंच जाता है, वह समय की बचत के लिए पानी भी कम पीते हैं. 107.6 फारेनहाइट के बाद इंसान को बचाना मुश्किल हो जाता है.

2. हीट स्ट्रोक के लिए जल चिकित्सा: आयुर्वेद और घर के इलाज में भी तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी की जाती है, लेकिन आरएमएल हॉस्पिटल में बनाई गई हीट स्ट्रोक रूम की जल चिकित्सा इसका अत्यधिक रूप है.

A. जल चिकित्सा के लिए जरूरी संसाधन:

जल चिकित्सा में तीन तरह के संसाधनों की जरूरत पड़ती है सबसे पहले कई एयर कंडीशन के जरिए हीट स्ट्रोक रूम का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस कर दिया जाता है. दूसरे नंबर पर 200 से लेकर 250 लीटर ठंडा पानी रहता है इस पानी का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक होता है. तीसरे और अंतिम चरण में बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है जो हीट स्ट्रोक के मरीज के लिए तापमान को शून्य के करीब तक पहुंचा देते हैं.

B. डॉ अजय चौहान के साथ जल चिकित्सा की प्रक्रिया:

सामान्य बुखार यानी 102-104 डिग्री फारेनहाइट तक हीट स्ट्रोक भीम का प्रयोग नहीं किया जाता. जब किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 105 फारेनहाइट से ज्यादा हो जाता है, तब इस प्रोटोकॉल को अपनाया जाता है.

सबसे पहले चरण में उसे व्यक्ति के गले को छोड़कर पूरे शरीर को ठंडा पानी में डुबो दिया जाता है. जिसमें 200 लीटर पानी के साथ 50 किलो बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है. बर्फ को तेजी से पानी में हिलाया जाता है ,ताकि पानी का तापमान शून्य से लेकर के 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए.

जब उसे व्यक्ति के शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाए ,तब उसे इस बर्फ वाले पानी से निकलकर एक छोटे स्विमिंग पूल जैसे बेड पर लेटा दिया जाता है, जहां केवल पानी की बौछार का इस्तेमाल किया जाता है, बर्फ का प्रयोग नहीं किया जाता.

मरीज के शरीर का तापमान 102 फारेनहाइट पहुंचने के बाद उसे सामान्य बिस्तर पर लिटाकर, कमरे का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से काम करके वेंटीलेटर और अन्य मशीनों के जरिए जिंदा रखना और ठीक करने की कोशिश की जाती है.

3. जल चिकित्सा इलाज के फायदे और प्रमाण:

A. हीट स्ट्रोक के मरीजों पर असर:

हीट स्ट्रोक में मृत्यु दर 70% होती है, अभी तक हीट स्ट्रोक के 8 गंभीर मरीज आरएमएल अस्पताल में पहुंच चुके हैं. जिनमें से एक व्यक्ति की काल मृत्यु हो गई थी ,यह एक दिहाड़ी मजदूर था, जिसकी उम्र 40 साल थी और उसका शरीर का तापमान 107.7 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया था.

आठ में से जो 7 मरीज़ अभी जीवित है, उनमें से दो मरीज की स्थिति गंभीर बनी हुई है. वह कृत्रिम मशीन यानी वेंटीलेटर के सहारे जिंदा है उन्हें बचाने की कोशिश जारी है.

यानी आरएमएल हॉस्पिटल के आंकड़ों की माने तो जहां सामान्य स्थिति में हिट स्टोर्क के 70% मरीजों की मृत्यु हो जाती है. वहीं इस जल चिकित्सा की वजह से 90% मरीजों की जान बचाना संभव है.

B. हीट स्ट्रोक के लिए विशिष्ट एम्बुलेंस:

आरएमएल हॉस्पिटल में हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए एक विशिष्ट एंबुलेंस को भी बनाया गया है . जिसमें अपेक्षाकृत बेहतर एयर कंडीशन के साथ वेंटीलेटर की सुविधा तो है ही, साथ में ors पैक, बर्फ के पैकेट को रखा गया है, 5 डिग्री से कम तापमान से पानी की बौछार किया इंतजाम है साथ ही ओआरएस पैकेट और खून के जरिए ब्लड प्रेशर को बढ़ाने की सुविधा भी मौजूद है. अस्पताल पहुंचने से पहले इन मरीजों को जिंदा रखने का सारा इंतेजामत इसी एंबुलेंस में मौजूद है.

Source : News Nation Bureau

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