देशभर में कोरोना वायरस का तांडव लगातार जारी है. देश में कोरोनावायरस के यू-टर्न ने एक बार फिर शासन-प्रशासन और आम लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. हालांकि, कोविड-19 के खिलाफ जारी जंग में भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद लोग काफी सहमे हुए हैं. किसी भी बीमारी से बचने के लिए पुराने समय से एक कहावत कही जाती रही है कि इलाज कराने से बेहतर है कि बीमारी को रोका जाए (Prevention is better than cure). इसी कड़ी में कोरोना वायरस से भी बचने के लिए हम कई तरह के उपाए कर सकते हैं.
यदि इंसान का इम्यून सिस्टम मजबूत हो तो कोरोना वायरस उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता. हमारी इम्यूनिटी अच्छी है तो हम बड़ी ही मजबूती के साथ कोरोना वायरस का मुकाबला कर सकते हैं. इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हम आयुर्वेद की मदद ले सकते हैं. कोरोना काल में देश-विदेश में करोड़ों लोगों ने आयुर्वेद की मदद से महामारी का मुकाबला किया है. राज्य आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. मनदीप जयसवाल ने कोरोना काल में बताया था, "आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी असरदार दवाएं हैं जो हजारों सालों से कई तरह की बीमारियों में अचूक असर कर रही है.''
डॉ. जायसवाल के मुताबिक आज हम जिस कोविड-19 से लड़ रहे हैं, उसका पहला कदम बचाव करना है. इसके लिए सबसे पहले स्वच्छता को अपनाना होगा. इसके अलावा जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, उनके संक्रमित होने का खतरा सबसे कम होता है. इसलिए आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली विभिन्न औषधि, योग, खानपान और दिनचर्या बताए गए हैं. उन्होंने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आहार में मौसमी हरी सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए. दूध और घी का नियमित सेवन करना चाहिए. दही में मिश्री और आंवले का चूर्ण मिलाकर इसका सेवन करें. इसके अलावा ताजा मट्ठा हमेशा ही लाभकारी होता है.
उन्होंने बताया कि पेटभर खाना नहीं चाहिए, आधा पेट खाली रहने से पेट से जुड़ी दिक्कतें नहीं होती हैं. इसके साथ ही खाना भी अच्छी तरह से पच जाता है. भोजन हमारे शरीर को पोषण और रोगों से लड़ने की शक्ति देता है. खाने के आधे घंटे बाद गुनगुने पानी का सेवन करें. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें.
उन्होंने बताया कि वैसे तो नियमित दिनचर्या से ही स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है. सामान्य सर्दी खांसी में सितोपलादि चूर्ण 3-5 ग्राम शहद और देशी घी के साथ दिन में 3-4 बार, यदि कफ ज्यादा बन रहा हो तो इसमे 500 मिग्रा शुद्ध टंकण और पिप्पली चूर्ण 500 मिग्रा के साथ ले सकते हैं. सामान्य बुखार में सुदर्शन घन वटी-महा सुदर्शन चूर्ण का सेवन. मधुमेह के रोगी नियमित हल्दी और आमलकी चूर्ण का सेवन करें. कब्जियत के रोगी-हिंगवस्टक चूर्ण का नियमित सेवन करें. अनिद्रा रोगी अश्वगंधा, मुलेठी व शतावरी चूर्ण का सेवन करें.
आईएएनएस इनपुट्स के साथ
Source :