Brain Eating Amoeba: ब्रेन ईटिंग अमीबा, जिसे नेगलेरिया फाउलेरी भी कहा जाता है, एक एक-कोशिकीय जीव (अमीबा) है जो गर्म, मीठे पानी में पाया जाता है. यह नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर प्राथमिक अमीबिक मेनिनजोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक घातक संक्रमण का कारण बनता है. यह संक्रमण बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन यह घातक भी है. अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, 1962 से 2022 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में केवल 154 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से केवल 4 लोगों को ही बचाया जा सका है. भारत में भी ब्रेन ईटिंग अमीबा के मामले सामने आ चुके हैं. हाल ही में, केरल में 3 लोगों की इस संक्रमण से मौत हो गई. गर्मियों के मौसम में, खासकर दक्षिणी भारत में, जहां तापमान अधिक होता है, इस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
ब्रेन ईटिंग अमीबा संक्रमण कैसे होता है?
यह संक्रमण आमतौर पर गर्मियों के महीनों में होता है जब पानी का तापमान 25°C से 30°C के बीच होता है. जब आप गर्म, मीठे पानी में तैरते हैं, नाव चलाते हैं या पानी के खेल खेलते हैं, तो यह अमीबा आपकी नाक से ऊपर जा सकता है. एक बार जब यह मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, तो यह मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट करना शुरू कर देता है, जिससे गंभीर सूजन और रक्तस्राव होता है.
ब्रेन ईटिंग अमीबा बीमारी के लक्षण
संक्रमण के लक्षण आमतौर पर नाक में अमीबा के प्रवेश के 1 से 9 दिनों के अंदर दिखाई देते हैं. शुरुआती लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं. बाद में गर्दन में अकड़न, प्रकाश से संवेदनशीलता, भ्रम, दौरे और कोमा हो सकता है.
ब्रेन ईटिंग अमीबा बीमारी से बचाव के तरीके
गर्मियों के महीनों में, गर्म, मीठे पानी में तैरने, नाव चलाने या पानी के खेल खेलने से बचें, खासकर अगर पानी गंदा या बादलदार दिखाई दे. अगर आपको पानी नाक में चला जाए, तो नाक को अच्छी तरह से पानी और नमक के घोल से धो लें. छोटे बच्चों को गर्म, ठंडे पानी में सिर डुबोने से रोकें. अगर आप बचाव पहले से ही लेकर चलेंगे तो इस बीमारी का खतरा कम होगा. किसी भी तरह के लक्षण को इग्नोर न करें. भारत में भी ये बीमारी अपने पैर पसार चुकी है. बेहतर होगा कि आप उचित समय पर जाकर डॉक्टर की सलाह लें और सही समय पर इलाज शुरू करवा दें.
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