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माउथ वॉश कितना खतरनाक? शोध में सामने आई ये सच्चाई, कैंसर होने का खतरा  

रोजाना उपयोग करने से हेल्दी बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं। हानिकारक बैक्टीरिया मुंह में कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं.

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Mohit Saxena
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mouth wash ( Photo Credit : social media)

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अब बात मुंह की फ्रेशनेस और सुगंधित रखने वाले माउथ वॉश की.जिसका तीन महीने तक रोजाना इस्तेमाल  करना सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. नई स्टडी से खुलासा हुआ है कि माउथ वॉश के  रोजाना इस्तेमाल से कई हेल्दी बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं. कई हानिकारक बैक्टीरिया मुंह में पैदा होने से कैंसर  होने का खतरा बढ़ जाता है? आखिर क्यों. अगर आप दांत और मसूड़ों की बीमारी, दांतों की सड़न, कैविटी, मुंह और सांसों के साथ बाहर आने वाले   बदबू से लड़ने के लिए माउथ वॉश का उपयोग करते हैं, तो सावधान रहने की जरूरत है. जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी की स्टडी की मानें तो अल्कोहल वाले माउथ वॉश का रोजाना इस्तेमाल कैंसर होने के जोखिम को कई गुना बढ़ा सकता है.  

माउथ वॉश कितना हानिकारक? 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में बिकने वाले ज्यादातर माउथ वॉश में अल्कोहल पाया जाता है, जो आगे चलकर कैंसर होने के बड़े कारण बन सकते हैं. डॉक्टर्स की मानें तो कोई लगातार 3 महीने तक रोजाना तीन   बार माउथ वॉश का इस्तेमाल करता है. तब मुंह के अंदर मौजूद दो बैक्टीरिया. फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम    और स्ट्रेप्टोकोकस एंजिनोसस बढ़ जाते हैं. ये दोनों ही बैक्टीरिया कैंसर होने का कारण बन सकते हैं. क्योंकि    दोनों बैक्टीरिया माउथ कैविटी को ही नष्ट करने लगते हैं. जिससे मुंह में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो    जाते हैं और कई तरह के खतरनाक कैमिकल निकलने लगते हैं. जो ओरल हेल्थ की सेहत के लिए ठीक नहीं  माने जाते हैं. 

डॉक्टर्स की मानें तो सिर्फ फ्रेशनेस फील करने और सुगंध के लिए माउथ वॉश का इस्तेमाल बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. कभी भी बिना डॉक्टरी सलाह के इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. नहीं तो माउथ वॉश से कई तरह के साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है.

फ्लोराइड से होने वाले साइड इफेक्ट्स

बाजार में बिकने वाले कुछ माउथ वॉश में 25 फीसदी तक अल्कोहल होता है. अल्कोहल और फ्लोराइड से होने वाले साइड इफेक्ट्स से मुंह में जलन और दर्द के साथ मुंह का अल्सर तक हो सकता है. माउथ वॉश में मौजूद क्लोरहेक्सिडाइन (CHX) से दांतों पर गहरे दाग-धब्बे हो सकते हैं. इसके साथ ही ड्राई माउथ होने का खतरा रहता है, जिसे मेडिकल टर्म में जेरोस्टोमिया कहा जाता है. 

ग्लैंड्स पर्याप्त मात्रा में लार बनाना बंद कर देती है

ड्राई माउथ से लार बनाने वाली ग्लैंड्स पर्याप्त मात्रा में लार बनाना बंद कर देती है. बार-बार जीभ और मुंह सूखने लगता है. अल्कोहल से मुंह में मौजूद हेल्दी माइक्रोबायोम्स को नुकसान पहुंचता है. माउथ वॉश में पाए जाने वाले प्रिजर्वेटिव और सिंथेटिक इंग्रेडिएंट्स से सिर और गर्दन के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. कई टूथपेस्ट और माउथ वॉश में सोडियम लॉरिल सल्फेट (SLS) का भी उपयोग किया जाता है. जिससे ब्रश करते वक्त मुंह में   झाग बनता है. SLS मुंह में अल्सर होने की आशंका को बढ़ा देता है. माउथ वॉश के रोजाना इस्तेमाल से खाने  को पचाने वाले और दांत-मसूड़ों को स्वस्थ रखने वाले कई बैक्टीरिया भी मर जाते हैं

डॉक्टरों की मानें तो अगर मुंह से बहुत ज्यादा बदबू आती है और माउथ वॉश का इस्तेमाल जरूरी है तो अल्कोहल फ्री माउथ वॉश का ही इस्तेमाल करना चाहिए. नहीं तो रोजाना माउथ वॉश का इस्तेमाल दांतों और मसूड़ों की सेहत बिगाड़ सकता है. ओरल हाइजीन के लिए रोजाना दो बार मुंह और दांतों की सफाई के साथ फ्लॉसिंग करना ही काफी है.

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Source : News Nation Bureau

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