Pregnancy tips: मां बनना हर औरत का सपना होता है, लेकिन हर महिला की प्रेग्नेंसी एक-दूसरे से अलग होती है. यह 9 महीने का सफर कभी इमोशनली तो कभी फिजिकली तकलीफदेह होता है. अगर आप भी मां बनने का सोच रहीं हैं तो ये खबर आपके लिए है. आप प्रेगनेंट हैं या नहीं, कहीं मिसकैरेज का तो खतरा नहीं हैं. इन सवालों के जवाब जानने के लिए आप एचजीसी (HCG) टेस्ट करवा सकती हैं. अक्सर हमारे मन में ये सवाल होता है कि गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उसकी जांच कर सकती हैं. गायनोलॉजिस्ट के मुताबिक, पीरियड्स मिस होने के 2 से 3 दिन के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए. इस दौरान इसका रिजल्ट सही आने की उम्मीद रहती है. अगर रिजल्ट ठीक नहीं आता तो कम से कम 1 हफ्ते का इंतजार करना चाहिए. प्रेगनेंसी किट में सही रिजल्ट न आने के बाद डॉक्टर बीटा एचसीजी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. इससे प्रेगनेंसी का सही-सही पता लग जाता है . प्रेगनेंसी टेस्ट करने पर प्रेगनेंसी कंफर्म करने और प्रेगनेंसी को आगे बढ़ाने के लिए बीटा ह्यूमन कॉरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) हार्मोन का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है.
ब्लड और यूरिन दोनों से होता है डिटेक्ट
अगर किसी महिला को यह प्रेग्नेंसी है तो उनका प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट पॉजिटिव ही आता है. दरअसल, महिला के प्रेग्नेंट होते ही शरीर में HCG नाम का हार्मोन बनता है. यह ब्लड और यूरिन दोनों से डिटेक्ट होता है. अगर किसी महिला को यूट्रस के बाहर फैलोपियन ट्यूब में गर्भ ठहर जाए तो प्रेग्नेंसी टेस्ट कार्ड (PTC) में गहरी के बजाय हल्की लाइन आएगी. साथ ही महिला को ब्लड स्पॉटिंग और पेट में दर्द होता है. प्रेग्नेंसी किट की मदद खुद प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के बाद डॉक्टर से जरूर चेकअप करवाना चाहिए.
ऐसे चलता है प्रेग्नेंसी का पता
कंसीव करने के शुरुआती दिनों से ही किसी महिला का शरीर कई तरह के बदलाव से गुजरने लगता है. ऐसा उन कोशिकाओं को सपोर्ट करने के लिए होता है, जो बच्चे में विकसित होती हैं. यह वह समय होता है, जब शरीर में HCG का उत्पादन बहुत तेजी से होता है. इससे गर्भाशय में निषेचित अंडे के प्रत्यारोपित होने के बाद एचसीजी का लेवल बढ़ने लगता है. ऐसा प्रेगनेंसी के 6 से 10 दिन बाद होता है.
प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले ये जान लें
प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने के बाद महिलाएं घर में प्रेगनेंसी टेस्ट करती है, जिसे HCG हार्मोन टेस्ट भी कहा जाता है. HCG टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मेडिकल लैब में गर्भवती महिला के ब्लड सैम्पल की टेस्ट करायी जाती है. इस टेस्ट को बीटा-एचसीजी कहते हैं. होम प्रेग्नेंसी किट और बीटा-एचसीजी टेस्ट की मदद से एचसीजी हार्मोन का लेवल चेक करने की कोशिश की जाती है. एचसीजी एक ऐसा हार्मोन है जिसका प्रेगनेंसी में भ्रूण के विकास से सीधा संबंध है. इसका निर्माण प्लेसेंटा द्वारा किया जाता है.
कॉर्पस ल्यूटियम को बनाए रखने में करता मदद
एचसीजी हार्मोन्स कॉर्पस ल्यूटियम (corpus luteum) को बनाए रखने में मदद करते हैं. यह मैटर्नल एंडोक्राइन सेल्स का एक ग्रुप है. जब एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता तब कॉर्पस ल्यूटियम तकरीबन 2 सप्ताह की अवधि के बाद वह खराब हो जाता है. वहीं, जब एग फर्टिलाइज हो जाता है और गर्भधारण सफल हो जाता है तो एचसीजी कॉर्पस ल्यूटियम को मेंटेन करता है. एग के फर्टिलाइजेशन के बाद 8-12 दिनों के भीतर HCG हार्मोन गर्भवती महिला के रक्त और यूरीन में पहुंच जाता है और इस तरह प्रेगनेंसी टेस्ट करने के बाद इन हार्मोन्स की मौजूदगी के आधार पर प्रेगनेंसी कंफर्म की जा सकती है.
HCG का हाई लेवल या लो लेवल होना
प्रेगनेंसी के शुरूआती 8-11 दिनों में एचसीजी हार्मोन के लो लेवल का पता लगाया जा सकता है. जबकि, प्रेग्नेंसी के पहले ट्राईमेस्टर के खत्म होते-होते एचसीजी लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है. जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती है वैसे-वैसे एचसीजी लेवल घटने लगता है. एक से अधिक भ्रूण की उपस्थिति का पता लगाने का यह एक तरीका है. जब एचजीसी लेवल अधिक हो तो इसका अर्थ यह होता है 2 या उससे अधिक बच्चे गर्भ में पल रहे हैं.
Disclaimer: ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें.
Source : News Nation Bureau