...तो आदमी कुत्ता बन जाता है! देशभर में कुत्ते के काटने से मासूम की मौत सुर्खियों में है. जब एंबुलेंस में अपने पिता की गोद में लिपटा वो 15 साल का बच्चा दर्द से चीख रहा था, तब हर कोई बेबस था. पिता की गोद में रोते-बिलखते यूं ही कुछ और मिनट बितते हैं और एक लंबी आह के साथ आखिरकार वो दम तोड़ देता है. ये दिल दहला देने वाला मंजर अबतक हमारे जहन में जस का तस है, मगर ये कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह की वारदात पेश आई हो, यानि अगर बीते 6 महीनों के आंकड़ों पर गौर करें, तो हमें ऐसे 46 हजार से ज्यादा मामले नजर आएंगे, जब किसी कुत्ते ने किसी मासूम या फिर रास्ते से गुजर रहे शख्स को अपना शिकार बनाया हो...
लिहाजा देश में लगातार बढ़ते रेबीज के खतरे को देख, एक सावल सुर्खियों में है. क्या वाकई में रेबीज होने के बाद इंसान कुत्ते जैसी हरकतें करने लगता है? इंटरनेट पर खूब रिसर्च और हेल्थ एक्सपर्ट्स से तमाम चर्चा के बाद, इसके सटीक निष्कर्ष तक पहुंचे हैं...
यूं करता है असर...
दुनिया के तमाम डॉक्टर्स के मुताबिक रेबीज का वायरस शरीर में तमाम तरह के बदलाव लाता है. जैसे सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन, शरीर में इरिटेशन और पानी से डर यानि हाइड्रोफोबिया के लक्षण नजर आने लगते हैं. न सिर्फ इतना, बल्कि रेबीज की बीमारी को दिमाग तक पहुंचने में भी देर नहीं लगती.
चीखना.. रोना.. बहुत कुछ...
जब ऐसा होता है, तो इंसान बेहद ही अजीबो-गरीब हरकत करने लगता है. वो अचानक चीखता है, चिल्लाता है, जोर-जोर से रोने लगता है. कई बार उसकी ये हरकतें कुत्ते की तरह नजर आने लगती है. कभी-कभार तो इन सबसे मरीज की देखभाल करने वाला शख्स भी बुरी तरह घबरा जाता है.
ऐसे में डॉक्टर्स बताते हैं कि, अगर समय रहते रेबीज का इलाज नहीं किया गया, तो ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है. इसलिए वक्त रहते एंटी रेबीज इंजेक्शन टाइम पर लिया जाना जरूरी है.
Source : News Nation Bureau