क्या डेल्टा और डेल्टा प्लस को काबू करने के लिए वैक्सीन की संरचना में बदलाव होगा?

Coronavirus Variants ICMR Chief: कोरोना वायरस के चार स्वरूप- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा चिंता वाले स्वरूप हैं, जबकि डेल्टा से जुड़ा डेल्टा प्लस भी चिंता वाला स्वरूप है.

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Kuldeep Singh
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क्या डेल्टा और डेल्टा + को काबू करने के लिए वैक्सीन में होगा बदलाव?( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने भारत सहित कई देशों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. इस वेरिएंट को कोरोना का अब तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट माना जा रहा है. इसमें संक्रमण की दर सबसे अधिक है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने हाल ही में कहा कि आईसीएमआर SARS-CoV-2 वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स के खिलाफ टीकों के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है क्योंकि बाद के चरणों में कोविड-19 के वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न और वेरिएट्ंस ऑफ इंटरेस्ट के अनुसार टीकों की संरचना में बदलाव का सुझाव दिया जा सकता है.

डॉ. भार्गव के मुताबिक, 'टीकों के संयोजन को आसानी से संशोधित किया जा सकता है, विशेष रूप से mRNA वैक्सीन, लेकिन पूरे वायरस निष्क्रिय टीकों को भी संशोधित किया जा सकता है. हालांकि, यह सिर्फ एक ऐसा उपाय है जिसका इस्तेमाल जरूरत के आधार पर ही किया जाएगा है और आईसीएमआर इसे आगे का रास्ता मानकर चल रही है.' जैसा कि कोविड -19 वायरस के संभावित तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, इसके वेरिएंट्स चिंता की वजह बन गए हैं क्योंकि इसका हर वेरिएंट पिछले वेरिएंट के मुकाबले अधिक मजबूत प्रतीत होता है. उदाहर के लिए, पहली बार यूनाइटेड किंगडम में पाया गया वायरस का अल्फा वेरिएंट भारत में पहली दफा मिले डेल्टा वेरिएंट की वजह से और भी शक्तिशाली हो गया है. अब, यूनाइटेड किंगडम में 90 प्रतिशत कोविड -19 मामलों के लिए डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार है. कई अन्य देशों ने भी अब अपने यहां इस वेरिएंट के होने की सूचना दी है.

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यह अध्ययन करना बेहद अहम है कि क्या मौजूदा टीके इन उभरते हुए वेरिएंट्स के खिलाफ समान रूप से प्रभावी हैं, क्या मामलों की गंभीरता में कोई बदलाव आया है, या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है. अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट्स के खिलाफ टीकों के प्रदर्शन का एक तुलनात्मक अध्ययन उपलब्ध है, जो यह बताता है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन इन सभी वेरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी है.

आईसीएमआर डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ टीकों के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है, जिसके देश के विभिन्न राज्यों में कुछ मामले सामने आए हैं. दूसरे देशों ने भी अपने यहां इस वेरिएंट की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी है. भारत ने डेल्टा प्लस को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' बताया है, हालांकि यह सुझाव देने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि क्या डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस  अधिक तेजी से फैलता है. विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में इस वेरिएंट के मामले काफी स्थानीय है और इसीलिए यह दावा करना सही नहीं है कि डेल्टा प्लस तेजी से अपने पांव पसार रहा है.

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कोरोना वायरस के चार स्वरूप- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा चिंता वाले स्वरूप हैं, जबकि डेल्टा से जुड़ा डेल्टा प्लस भी चिंता वाला स्वरूप है. बलराम भार्गव ने बीते 25 जून को नई दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि विभिन्न स्वरूपों को समाप्त करने की टीके की क्षमताओं में कमी, जो वैश्विक साहित्य पर आधारित है, यह दिखाती है कि कोवैक्सीन अल्फा स्वरूप के साथ बिल्कुल भी नहीं बदलता है. उन्होंने कहा था, 'कोविशील्ड अल्फा के साथ 2.5 गुना घट जाता है. डेल्टा स्वरूप को लेकर कोवैक्सीन प्रभावी है, लेकिन एंटीबॉडी प्रतिक्रिया तीन गुना तक कम हो जाती है, जबकि कोविशील्ड के लिए, यह कमी दो गुना है, जबकि फाइजर और मॉडर्ना में यह कमी सात गुना है.'

HIGHLIGHTS

  • डेल्टा प्लस वेरिएंट को माना जा रहा सबसे अधिक संक्रमणकारी
  • भारत ने इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है
  • डेल्टा प्लस वेरिएंट तेजी से लोगों को करता है संक्रमित

Source : News Nation Bureau

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