आज के समय में खुद को फिट और आकर्षक बनाने के लिए लोग काफी मेहनत करते है. यही कारण है कि लोग अपनी बढ़ती उम्र से लेकर अपने झड़ते बालों के निवारण के लिए कोई ना कोई उपाय खोजते रहते हैं. ऐसे में लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कभी जिम तो कहीं हेल्थ सप्लीमेंट्स का सहारा लेते है. लेकिन क्या आप जानते है की योग से अच्छा और परफेक्ट उदहारण एक हेल्थी लिविंग के लिए और कुछ नहीं हो सकता. लेकिन जब बात स्किन और बालों की आती है तो सभी सोच में पड़ जाते हैं. अगर आपके साथ ऐसा है तो बता दें योग केवल शरीर ही नहीं बल्कि स्किन और बालों की समस्याओं को भी निपटा सकता है.
ऐसे कई योगासन है जो आपके बालों की ग्रोथ को बेहतर करने का कार्य कर सकते हैं, और आपके शरीर की दिक्कतें भी दूर होती है. इसके अलावा योग के जरिए आप झड़ते बालों की समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं. तो चलिए आपको बताते है की कुछ योग मुद्रा जो आपकी ज़िन्दगी को बेहतर रूप दे सकते है.
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पृथ्वी मुद्रा-
इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. पृथ्वी मुद्रा कमजोर लोगों का वजन बढ़ाती है और शरीर में विटामिनों की कमी को दूर करती है. बढ़ते हुए बच्चों, स्त्रियों, कमजोर पाचन शक्ति वाले लोगों के लिए यह मुद्रा लाभकारी है. इससे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है, जीवन शक्ति का विस्तार होता है और चेहरे पर चमक आती है.
कैसे करें -
आपकी अनामिका उंगली की पोर (उंगलियों के अग्रभाग) से अंगूठे के पोर को मिलाएं और बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें, ध्यान रखें उंगलियों के पोरों को स्पर्श करना है और बाकी सभी उंगलियों को सामान्य रखें ज्यादा खींचातानी ना करें दोनों हाथों को घुटने पर रखें, अपनी पीठ गर्दन और सिर को एक सीधी रेखा में रखें, यह मुद्रा 40 से 45 मिनट तक कर सकते हैं, अगर आपके पास समय की कमी है तो 15-20 मिनट सुबह और 15-20 मिनट शाम को भी कर सकते हैं.
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अपाना मुद्रा -
गर्भाशय और पीरियड्स संबंधी रोग पृथ्वी, आकाश और अग्नि तत्वों के असंतुलन का परिणाम होते हैं. इन समस्याओं में अपान मुद्रा बहुत ही उपयोगी है. अपाना मुद्रा मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र को प्रभावित करती है. इससे पेट के सभी अंग सक्रिय होते हैं. बता दें की इस योग मुद्रा से शरीर से विजातीय तत्व बाहर निकलता है और नस-नाड़ियों का शोधन होता है वहीं अपाना मुद्रा से मासिक धर्म संबंधी पीड़ा, ऐंठन, मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याएं भी दूर होती हैं. अगर यह मुद्रा मूलबंध और उड्डियान बंध के साथ की जाए, तो लाभ बढ़ जाता है.
कैसे करें -
यह मुद्रा दो तरीकों से की जाती है. अंगूठे, मध्यमा और अनामिका के शीर्ष को मिलाएं तर्जनी और कनिष्ठा उंगलियां सीधी रहें, इसे 45 मिनट तक करें.
कॉन्ट्रइंडिकेशन-
चूंकि इशारा मजबूत नीचे की ओर खींचने वाला बल उत्पन्न करता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को शुरुआती आठ महीनों में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे जटिलताएं हो सकती हैं. हालांकि, नौवें महीने के दौरान इसका अभ्यास करने से आसान प्रसव में मदद मिलती है. दस्त, पेचिश, हैजा और बृहदांत्रशोथ से पीड़ित होने पर भी अभ्यास से बचना चाहिए और भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau