आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को अक्सर नींद न आने की शिकायत हो जाती है. ऐसा देखा गया है कि लोग इसे हल्के में ले लेते हैं लेकिन नींद न आना एक बड़ी समस्या है. ऐसे में क्या आपको भी नींद न आने की समस्या है? अगर हां तो ये आपके दिमाग के लिए ख़तरनाक हो सकता है. ज़्यादातर चिकित्सकों का यही मानना है कि स्वस्थ शरीर के लिए कम से कम 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद बहुत ज़रूरी होती है. नींद पूरी न होने के कई बुरे प्रभाव भी शरीर पर होते हैं लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि अगर आप पूरी नींद नहीं लेते तो आपका दिमाग खुद को ही खाना शुरू कर देता है. इससे अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य बीमारियां पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब शरीर में इकट्ठी ऊर्जा ख़त्म होने लगती है तो शरीर थकना शुरू हो जाता है और उसे नींद की ज़रूरत होती है. सोते समय शरीर का पूरा तंत्र बहुत तेज़ी से काम करता है और अपने लिए आवश्यक ऊर्जा भी पैदा कर लेता है. शरीर को अगले दिन फिर से सुचारू रूप से चलाने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे बनने में कम से कम 8 घंटे का समय लगता है. हालांकि ये समय अलग - अलग उम्र में अलग - अलग होता है लेकिन एक व्यस्क शरीर में ये औसत 8 घंटे ही माना गया है.
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शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि लगातार ख़राब नींद लेने से दिमाग न्यूरॉन्स और सिनैप्सिस कनेक्शन के कुछ हिस्सों को खत्म करने लगता है और अगर आप सोचते हैं कि आप बाद में अपनी नींद पूरी कर लेंगे तो इससे जो खराबी हो चुकी होती है, वो ठीक नहीं होती. आठ घंटे से कम नींद लेने से आपके अंदर विचारों की पुनरावृत्ति भी उसी तरह बढ़ जाती है जैसा तनाव और घबराहट के मरीज़ों में होता है जिससे एकाग्रता में कमी होती है व दूसरे कई मनोरोग हो जाते हैं.
डॉक्टरों के अनुसार कम नींद लेने से इसका सबसे बुरा असर दिमाग पर सबसे ज्यादा पड़ता है और उससे कई दूसरी बीमारियां जैसे अल्ज़ाइमर, तनाव, अवसाद, मोटापा जन्म लेती हैं. इसलिए ये ज़रूरी है कि आठ घंटे की नींद ली जाए. कोशिश करनी चाहिए कि रात में 11 बजे से पहले ही सो जाएं.
Source : News Nation Bureau