केंद्र सरकार की ओर से आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 तरीके की सर्जरी करने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लगातार अपना विरोध जता रहा है. इसी कड़ी 1 जनवरी से 14 जनवरी तक आईएमए की तरफ से भूख हड़ताल की गयी थी. 14 जनवरी को भूख हड़ताल समाप्त कर दी गयी . इस मौके पर आईएमए के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता करते हुए आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति को लेकर अपना रुख साफ किया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जेऐ जयालाल ने कहा कि हम आयुर्वेद की सर्जरी का विरोध नहीं कर रहे हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जेऐ जयालाल ने कहा कि हम आयुर्वेद की सर्जरी का विरोध नहीं कर रहे हैं, आयुर्वेद के डॉक्टर आयुर्वेद में किसी भी प्रकार की सर्जरी कर सकते हैं. लेकिन हमारी ओर से आयुर्वेद के डॉक्टर मॉडर्न मेडिसिन में जो सर्जरी करने जा रहे हैं, उसका विरोध जताया जा रहा है, क्योंकि इसको लेकर उन डॉक्टर के पास कोई भी अनुभव नहीं है, जबकि मॉडर्न मेडिसिन में एमबीबीएस डॉक्टर को भी सर्जरी के लिए कम से कम 3 साल का अनुभव होना आवश्यक होता है और उसके बाद डॉ कई सालों तक प्रैक्टिस करते हैं और फिर उन्हें सर्जरी की अनुमति दी जाती है.
लेकिन सरकार की तरफ से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति में केवल 2 साल के अनुभव के बाद ही यह सर्जरी करने की अनुमति दे दी गई है और मॉडर्न मेडिसिन में अलग-अलग चीजों की अलग-अलग डॉक्टर सर्जरी करते हैं, जैसे आंख और कान का डॉक्टर एक होता है, स्त्री रोग के लिए अलग डॉक्टर होता है और अन्य लोगों के लिए अलग डॉक्टर होता है. लेकिन इस फैसले के अनुसार आयुर्वेद का डॉक्टर 58 तरीके की सभी सर्जरी कोई भी एक डॉक्टर कर सकता है.
इसके अलावा आईएमए के सेक्रेटरी जनरल डॉ जयेश लेले ने कहा कि इस को लेकर सरकार से लगातार इस फैसले पर विचार किए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया है. इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट में भी अपना पक्ष रखा है और इस फैसले को लेकर विरोध जताया है हम लगातार इसके खिलाफ खड़े हुए हैं. और आने वाले दिनों में हम अपना विरोध और साफ करेंगे.
Source : News Nation Bureau