इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. दरअसल सीसीआईएम ने भारतीय चिकित्सा पद्धति की विशिष्ट स्ट्रीमों में स्नातकोत्तर चिकित्सकों को सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित करने की अनुमति दे दी है, इसी के विरोध में आईएमए ने कोर्ट का रूख किया है. आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा, 'कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर कर यह आग्रह किया था कि सीसीआईएम के इस बाबत जारी आदेश को खारिज कर दे और यह घोषित कर दे कि परिषद को सिलेबस में मॉर्डन मेडिसिन शामिल करने का अधिकार नहीं है.'
केंद्र सरकार ने नवंबर में जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में संशोधन को अधिसूचित करके आथोर्पेडिक, नेत्र विज्ञान, ईएनटी और डेंटल सहित कई तरह की सामान्य सर्जरी और मेडिकल प्रक्रियाओं में आयुर्वेद के पीजी छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दी थी. नवीनतम संशोधन आयुर्वेद के स्नाकोत्तर छात्रों को ऐसी प्रक्रियाओं के लिए औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति देता है. सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा.
सीसीआईएम ने इंडियन मेडिसीन सेंट्रल काउंसिल (पोस्टग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेगुलेशन,2016 में संशोधन किया है, ताकि आयुर्वेद के पीजी छात्र सामान्य सर्जरी की प्रैक्टिस कर सकें. इस कदम की मार्डन मेडिसीन के डॉक्टरों ने आलोचना की है, जिससे इस महीने पूरे देश में आईएमए सदस्यों ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया है. सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने वालों सहित लाखों डॉक्टरों ने सीसीआईएम की अधिसूचना के खिलाफ छोटे समूहों में प्रदर्शन किया.
केंद्र द्वारा इस तरह की नीतिगत कदमों का आईएमए खुले तौर पर विरोध कर रहा है. आईएमए आने वाले वर्षो में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) की पारंपरिक प्रणालियों के साथ आधुनिक चिकित्सा मिश्रण की योजना से नाराज है.
Source : IANS/News Nation Bureau