इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) विश्व क्षयरोग (टीबी) दिवस के मौके पर 24 मार्च को लोगों को टीबी के बारे में जागरूक बनाने के उद्देश्य से जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा. यह कार्यक्रम टीबी के उन्मूलन के लिए किए जाने वाले जरूरी उपायों और इन उपायों के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए आयोजित किया जाएगा. आईएमए ने इन कार्यक्रमों के लिए नारा दिया है- 'आईएमए का नारा, टीबी से छुटकारा.' इस कार्यक्रम का शुभारंभ आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन करेंगे.
इसके बाद विश्व टीबी डे की 137वीं वर्षगांठ के प्रतीक के तौर पर 137 गुब्बारे उड़ाए जाएंगे. विश्व टीबी डे का आयोजन उस दिन किया जाता है, जब सर रॉबर्ट कोच ने बेसिलस का पता लगाया था.
विज्ञप्ति के अनुसार, जन जागरूकता का यह कार्यक्रम पूरे भारत में आईएमए की सभी 750 शाखाओं की ओर से आयोजित किया जाएगा. लोगों को ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से टीबी के बारे में जागरूक बनाने से देश में टीबी के उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त होगा.
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कार्यक्रमों के मुख्य आकर्षणों में टीबी पर आधारित नुक्कड़ नाटक का आयोजन शामिल है. इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा. इसमें कई स्वयंसेवी संस्थाएं हिस्सा लेंगी. प्रशिक्षण कार्यक्रम में 500 से अधिक छात्र, एनजीओ कार्यकर्ता और स्वास्थ्यकर्मी भाग लेंगे.
आईएमए के मानद वित्त सचिव डॉ. रमेश दत्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से उपलब्ध कराए गए हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत औषधि संवेदी (ड्रग सेंसेटिव) एवं बहुऔषधि प्रतिरोधी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) तपेदिक के मामले में आगे है. तपेदिक से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं में टीबी को लेकर लापरवाही है.
उन्होंने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं में टीबी के मामलों की अनदेखी होती है. हमारे देश में 32 लाख महिलाएं टीबी से पीड़ित हैं. यही नहीं, इन महिलाओं में मृत्युदर भी अधिक है. इस बीमारी के प्रबंध में आने वाली बाधाओं को कारगर तरीके से दूर करने तथा टीबी के मामलों को सामने लाने के लिए एकजुट होकर रणनीतियां बनाने की जरूरत है.
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आईएमए के पूर्व मानद महासचिव डॉ. नरेंद्र सैनी ने कहा, 'गत वर्ष टीबी से मरने वाले रोगियों के प्रतिशत में तीन प्रतिशत की गिरावट हुई थी. आईएमए सन् 2025 तक टीबी के मामलों में 80 प्रतिशत तक की कमी लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारे देश में हर साल टीबी के मामलों में बढ़ोतरी का एक कारण गुप्त टीबी है.
हालांकि रोग के प्रकट होने पर रोग के लक्षण गंभीर होते हैं और ऐसे में छह से नौ माह तक एंटीमाइक्रोबायल दवाइयों से मरीजों का इलाज होना जरूरी है.'
Source : IANS