बच्चों की सोने की आदतों में लाइये सुधार, एकाग्रता बढ़ाने में कारगर

एकाग्रता में कमी से संबंधित 'हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर' (एडीएचडी) के असर को कम करने में नींद अहम भूमिका निभा सकती है।

author-image
ruchika sharma
एडिट
New Update
बच्चों की सोने की आदतों में लाइये सुधार, एकाग्रता बढ़ाने में कारगर

बच्चों की सोने की आदतों में लाइये सुधार

Advertisment

एकाग्रता में कमी से संबंधित 'हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर' (एडीएचडी) के असर को कम करने में नींद अहम भूमिका निभा सकती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मडरेक चिल्ड्रेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमसीआरआई) ने एक शोध में कहा कि एडीएचडी के लक्षण 70 फीसदी ऐसे बच्चों में पाए गए, जिन्हें नींद आने में दिक्कत होती है। 

प्रमुख शोधकर्ता मेलिस्सा मुलरेनी के अनुसार, सोने के समय की नियमित आदतों में सुधार से एडीएचडी पीड़ित बच्चों में खास अंतर लाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, 'शोधकर्ताओं ने संकेत दिया कि एडीएचडी ऐसे बच्चे, जिनकी दिनचर्या एक सी होती है, वे सोते समय कम परेशान रहते हैं और आसानी से सो जाते हैं।'

रिपोर्ट में मुलरेनी के हवाले से कहा गया, 'जिन बच्चों में अच्छी आदतें होती है, वे रात में सोते समय आम तौर पर बहस नहीं करते और लंबी व अच्छी नींद लेते हैं, जबकि दिन में वे ज्यादा चौकन्ने रहते हैं व कम सोते हैं।'

और पढ़ें: AC के बिना नहीं रह सकते तो हो जाइये सावधान! हो सकती है ये सारी बीमारियां

उन्होंने कहा, 'यहां तक कि यदि आप अच्छी तरह से नहीं नींद लेते हैं, तो आप एडीएचडी की शिकायत के बगैर भी अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।'

मुलरेनी ने कहा, 'हमारा 'बॉडी क्लॉक', जो हमें सोने के संकेत देती है, वह दिन के उजाले, तापमान व भोजन के समय जैसे बाहरी संकेतों से प्रभावित होती है।'

उन्होंने कहा, 'अगर आपका सेट रूटीन है, जैसे- यदि आप ब्रश करते हैं और फिर पुस्तक पढ़ते हैं तो आपका शरीर इस रूटीन का आदी हो जाता है और आपके इस रूटीन के अनुसार ही आपको सोने की आवश्यकता महसूस होने लगती है।'

और पढ़ें: कुमार विश्वास ने अमिताभ बच्चन के नोटिस पर दिया जवाब, हरिवंश राय बच्चन की कविता से कमाए '32 रूपये'

Source : IANS

concentration kids hyperactive disorder body clock
Advertisment
Advertisment
Advertisment