अगर किसी व्यक्ति को खांसी, गले में दर्द, बुखार, सिरदर्द, मतली और उल्टी के लक्षण हैं, तो स्वाइन फ्लू की जांच करानी चाहिए. इस स्थिति में दवाई केवल चिकित्सक की निगरानी में ही ली जानी चाहिए. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने एक बयान में कहा है, 'स्वाइन फ्लू में खांसी या गले में खरास के साथ 1000 फारेनहाइट से अधिक तक बुखार हो सकता है. निदान की पुष्टि आरआरटी या पीसीआर तकनीक से किए गए लैब टैस्ट से होती है.'
उन्होंने कहा, 'हल्का फ्लू या स्वाइन फ्लू बुखार, खांसी, गले में खरास, नाक बहने, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, ठंड और कभी-कभी दस्त और उल्टी के साथ आता है. हल्के मामलों में, सांस लेने में परेशानी नहीं होती है. लगातार बढ़ने वाले स्वाइन फ्लू में छाती में दर्द के साथ उपरोक्त लक्षण, श्वसन दर में वृद्धि, रक्त में ऑक्सीजन की कमी, कम रक्तचाप, भ्रम, बदलती मानसिक स्थिति, गंभीर निर्जलीकरण और अंतर्निहित अस्थमा, गुर्दे की विफलता, मधुमेह, दिल की विफलता, एंजाइना या सीओपीडी हो सकता है.'
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि गर्भवती महिलाओं में, फ्लू भ्रूण की मौत सहित अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. हल्के-फुल्के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गंभीर लक्षण होने पर मरीज को भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है.
और पढ़ें: हवा की खराब क्वालिटी स्किन को पहुंचा रही है नुकसान, ऐसे कर सकते हैं बचाव
उन्होंने कहा कहा कि 23-27 अक्टूबर तक यहां तालकटोरा स्टेडियम में 25वें परफेक्ट हैल्थ मेले में स्वाइन फ्लू पर चर्चा होगी.
उन्होंने कहा है कि सितंबर माह में बेंगलुरू में सकारात्मक एच1एन1 मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है. अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान 68 सकारात्मक मामले सामने आए थे, जो कुछ ही दिनों में 21 और बढ़ गए. ऐसे में सावधानी सबसे बड़ा उपाय है.
यह भी देखें: जानें कहीं आपकी हड्डियां तो नहीं हो गईं हैं कमजोर, चुपके आ जाती है ये बीमारी
गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा-ए वायरस के एक स्ट्रेन के कारण होती है और सुअरों से इंसानों में संचरित होती है. समय पर इलाज नहीं होने पर एच1एन1 घातक भी हो सकता है.
Source : IANS