एक नए अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में लक्षण दिखने के एक सप्ताह के भीतर दूसरे लोगों में संक्रमण फैलने का काफी खतरा रहता है, इसलिए मरीज को जल्द से जल्द पृथक-वास में भेजना चाहिए. पत्रिका ‘लांसेट माइक्रोब’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि कोविड-19 के मरीजों के नमूनों की जांच में संक्रमण शुरू होने के नौ दिनों बाद कोरोना वायरस नहीं पाए गए.
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अध्ययन के लेखक और ब्रिटेन में सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय से जुड़े मुगे केविक ने कहा, 'कोरोना वायरस के तीनों स्वरूपों की पहली बार व्यवस्थित तौर पर समीक्षा की गयी और नमूनों का विश्लेषण किया गया.' केविक ने कहा, 'इससे स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि सार्स कोव और मर्स कोव की तुलना में कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार कोव-दो ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है. यह लक्षण दिखने के तुरंत बाद मरीज को पृथक-वास में भेजने के महत्व को भी रेखांकित करता है.'
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अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा मुख्य रूप से लक्षण दिखने के पांच दिनों में और ज्यादा होता है इसलिए ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत पृथक-वास में भेजना चाहिए . केविक ने कहा, 'संक्रमण के संबंध में लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है कि संक्रमित लोगों से कितनी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है.' अध्ययन के तहत वैज्ञानिकों ने सार्स कोव-दो से संक्रमित लोगों और अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की स्थिति पर गौर किया.
Source : Bhasha