दुनियाभर में बढ़ती हिंसक वारदातों के लिए बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहराया गया है. एक नए अध्ययन में तापमान में तेज वृद्धि के कारण आने वाले दशकों में होने वाली लाखों हिंसक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया गया है. यह अध्ययन अमेरिका स्थित कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एन्वॉयरमेंट साइंसेज (CIRES) ने किया. अध्ययन के प्रमुख रेयान हार्प ने कहा कि तापमान में जिस कदर वृद्धि हो रही है, उससे लगता है कि इस सदी के अंत तक दुनिया भर में 20 से 30 लाख अधिक हिंसक वारदातें हो सकती हैं.
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एन्वॉयरमेंटल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. हार्प और क्रिस कर्णोस्क ने बढ़ते तापमान और अपराध दर और क्षेत्रीय संबंधों के बीच की एक कड़ी की पहचान की. उन्होंने अपराध डेटाबेस और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के जलवायु से संबंधित आंकड़ों की भी इस काम में मदद ली.
विश्लेषण से पता चला कि सर्दी के मौसम में होने वाली ठंड कम होती जा रही है और इस मौसम में भी गर्मी बढ़ रही है. इस दौरान न केवल हिंसक हमले हो रहे हैं, बल्कि डकैती जैसी घटनाएं भी बढ़ रही हैं.
शोधकर्ताओं ने अमेरिका में भविष्य में होने वाले हिंसक अपराधों का अनुमान लगाया है. उन्होंने उन गणितीय रिश्तों को जोड़ा है, जिसमें उन्होंने पिछले 42 अत्याधुनिक वैश्विक जलवायु मॉडलों के परिणामों को दिखाया था. शोध टीम ने उन प्रमुख कारकों पर ध्यान दिया, जिनकी पिछले अध्ययनों के दौरान अनदेखी की गई. इसमें विभिन्न मौसमों के दौरान देश में होने वाले अपराध की दर में भिन्नता देखी गई थी.
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कर्णोस्क ने कहा कि हम यह जानने में लगे हैं कि जलवायु परिवर्तन लोगों को किस तरह प्रभावित कर रहा है. यदि अभी भी हम नहीं जागे तो भविष्य में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और भी भयानक होने की आशंका है.