कोरोना के खिलाफ भारत के पास है अब तीन हथियार, जानें कौन है कितना कारगर

अभी तक हमारे पास कोरोना के खिलाफ मात्र दो ही देश में विकसित टिका था. भारत में ही विकसित दोनों टिका कोवैक्सीन और कोविशील्ड लोगों को दिया जा रहा था. लेकिन देश के पास कोरोना के खिलाफ जंग में तीसरा हथियार रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V भी पंहुच चुका  है.  

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Avinash Prabhakar
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प्रतीकात्मक तस्वीर ( Photo Credit : News Nation)

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देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण जोरों पर है. हालाकिं कई राज्यों में वैक्सीन की अनुपलब्धता एक समस्या बानी हुई है फिर भी केंद्र और राज्य सरकार के तरफ से कोशिश की जा रही है कि इस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर न पड़े और सबको जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध हो. देश के सभी लोगों को वैक्सीन देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. अभी तक हमारे पास कोरोना के खिलाफ मात्र दो ही देश में विकसित टिका था. भारत में ही विकसित दोनों टिका कोवैक्सीन और कोविशील्ड लोगों को दिया जा रहा था. लेकिन देश के पास कोरोना के खिलाफ जंग में तीसरा हथियार रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V भी पंहुच चुका  है.  
बता दें कि भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V (Sputnik-V) की एंट्री हो गई है. शुक्रवार को हैदराबाद में इस वैक्सीन के पहले डोज दिया गया. साथ ही रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V कीमतों का भी ऐलान किया गया है. इससे पहले भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covaxin) का इस्तेमाल किया जा रहा है.  इस महीने के अंत तक 30 लाख और स्पूतनिक टीके की खुराक भारत पहुंचेंगी. साथ ही देश में इस टीके का उत्पादन शुरू करने के लिए रेड्डी लेबोरेटरी के अलावा पांच अन्य कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है. इनमें हेटेरो बॉयोफॉर्मा, विरचोव बॉयोटैक, स्टेलिस बॉयोफॉर्मा, ग्लैंड बॉयोफॉर्मा तथा पैनाशिया बॉयोटैक शामिल हैं. 

भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V के आगमन के बाद से सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर कौन सा टीका सबसे ज्यादा असरदार होगा. आइये जानते है तीनों वैक्सीन के बारे में.

कोविशील्ड
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार हुई ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का इस्तेमाल दुनिया के 62 से ज्यादा देश कर रहे हैं.  विश्व स्तर पर इस वैक्सीन की प्रभावकारिता दर यानि एफिकेसी रेट 70.4 फीसदी है. सरकार ने इस वैक्सीन को और असरदार बनाने के लिए दो डोज के बीच अंतराल बढ़ा दिया है. अब कोविशील्ड के दो डोज के बीच में 14-16 हफ्ते के गैप से दिए जाने की सलाह दी गई है. कोविशील्ड के इस्तेमाल के बाद लोगों में लालपन, बदन या बांह में दर्द, बुखार आना, थकान महसूस होना और मांसपेशियों के जकड़ने जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं. 

कोवैक्सीन

हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी में निर्मित कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और शनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है.  इस वैक्सीन का एफिकेसी रेट 81 प्रतिशत है. साथ ही कई जानकारों ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स पर काफी असरदार बताया है. कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के बाद लोग सूजन, दर्द, बुखार, पसीना आना या ठंड लगने, उल्टी, जुकाम, सिरदर्द और चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है.

स्पूतनिक-V

स्पूतनिक-V कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में शुरू हुए वैक्सीन अभियान में मंजूरी पाने वाली शुरुआती वैक्सीन में से एक है. मीडिया रिपोर्ट्स में जारी जानकारी के अनुसार, इस वैक्सीन का प्रभावकारी दर 91.6 प्रतिशत है. एक स्टडी के अनुसार, स्पूतनिक-V को लेने के बाद लोगों को दर्द या फ्लू जैसे साइड इफेक्टर का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल इस वैक्सीन से जुड़ा कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है.

Source : News Nation Bureau

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